श्रीराम सुपर 5-एसआर 05 और- 252 गेहूँ बीज से मिल रहा बंपर मुनाफा
- बदलते मौसम में भी गेहूँ बीज किसानों को दे रहा बेहतर फसल
मेरठ। लांच के बाद से ही श्रीराम सुपर 5-एसआर 05 और- 252 गेहूं बीज इनकी अनुकूलन क्षमता और बेहतरीन उत्पादकता के चलते उत्तर प्रदेश के किसानो में बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि बदलती प्रकृति से उभर रही नई-नई चुनौतियों में भी इन किस्मों के परिणाम श्रेष्ठ हैं। अधिक तापमान और पीली रतुआ के प्रति सहनशीलता, कल्लों की संख्या अधिक, बड़े-सुनहरे दाने, उपयुक्त फसल की ऊंचाई और गिरने की समस्या कम होने के कारण ये उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और बिहार में गेहूं के किसानो की पहली पसंद बन रहे हैं।
ओम प्रकाश त्यागी, हापुड़ से एक किसान ने श्रीराम फार्म सोल्यूशन्स की ओर से दिए गए एक डेमो देखने के बाद पिछले साल अपने खेत में श्रीराम सुपर 5-एसआर 05 और- 252 गेहूं बीज इस्तेमाल किया। उनका कहना है कि इसमें कई विशेषताएं देखने को मिली जैसे अधिक कल्लों की संख्या, वज़नदार कठोर चमकदार 80-85 दाने प्रति बाली, पीली रतुआ के प्रति सहनशीलता और अधिक उपज क्षमता। पौधे की उपयुक्त ऊंचाई 90 से.मी. होने की वजह से इसमें गिरने की शिकायत नहीं आती। इस साल मार्च महीने में अचानक अधिक तापमान होने के बावजूद श्रीराम सुपर 5-एसआर 05 की अधिक उत्पादकता और बेहतर गुणवत्ता वाली फसल को देखकर वे बेहद प्रसन्न है और इस वर्ष भी श्रीराम सुपर 5-एसआर 05 गेहूं बीज की ही बुवाई करेंगे।
उत्तर प्रदेश के अन्य किसान श्रीराम सुपर 252 गेहूं बीज बोने से भी इसी तरह की सफलता पा रहे है। सहारनपुर, उत्तर प्रदेश के किसान बाबू सिंह ने अपने खेत में श्रीराम सुपर 252 बोया था और वे श्रीराम सुपर 252 की बेहतर परिणाम से काफी प्रभावित हुए हैं। उनका कहना है कि श्रीराम सुपर 252 में कल्लों की संख्या भी ज्यादा है (10-12 प्रति पौधा) और बाली की लम्बाई भी अधिक है। जहाँ अन्य किस्म में प्रति बाली 55-60 दाने प्राप्त हुए थे वहीं श्रीराम सुपर 252 की प्रति बाली में 75-80 दाने पाए गए. बाबू सिंह अधिक उपज पा कर बेहद खुश है और अगले साल वो अपने पूरे खेत पर श्रीराम सुपर 252 बीज ही लगाएंगे।
श्रीराम सुपर 5-एसआर 05 और- 252 बीज के साथ साथ , श्रीराम फार्म सोल्यूशन्स की अन्य किस्में जैसे श्रीराम सुपर 303, 272 आदि भी पिछले कुछ सालों से अपनी शानदार परफॉरमेंस के चलते उत्तर प्रदेश के किसानो में बेहद लोकप्रिय हो गयी हैं।
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