लौह पुरुष भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल का राष्ट्र प्रेम

 सिम्मी सिंह 

भारत के विभाजन के बाद स्वतंत्र भारत में 9 प्रांतों के अतिरिक्त 584 देशी रियासतें भी थी l उनमें से केवल तीन रियासतें ऐसी थी जो पृथक राज्यों का रूप ले सकती थी वह थी हैदराबाद ,कश्मीर और मैसूर। 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार देसी रियासतों को यह निश्चित करने का अधिकार दिया गया था कि भारत की स्वतंत्रता के उपरांत भारत या पाकिस्तान जिसमें वे चाहे शामिल हो सकते हैं। देसी रियासतों का यह विभाग सरदार वल्लभभाई पटेल के हाथों में सोपा गया था अपनी दूरदर्शिता और उदारता का उपयोग करते हुए सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रत्येक बाधाओं को दूर किया और पहले रक्षा विदेशी मामलों और संचार के विषयों में देशी रियासतों को शामिल किया फिर उनका संगठन करके और अंत में पूरी तरह से केंद्र के ढांचे में लाकर सारे देश को विधान की दृष्टि से एक बना दिया। संसार के किसी भी देश के इतिहास में ऐसा उदाहरण नहीं मिलता जिसमें एक व्यक्ति ने इतनी जटिल समस्याओं को इतने कम समय में सुलझा दिया हो।


देसी राज्य में रहने वाली प्रजा से भी सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा "हम सबके हित, संबंध अलग-अलग नहीं है इतना ही नहीं हम सभी एक खून और एक ही भावना के बंधन में बंधे हुए हैं l कोई हमें अलग-अलग टुकड़ों में बांट नहीं सकता मैं अपने मित्र राजाओं और उनकी प्रजाओ को निमंत्रण देता हूं कि मैत्री सहयोग की भावना से विधानसभा में आइए ।मिल जुल कर सबके कल्याण के लिए मातृभूमि के चरणों में बैठकर वफादारी के साथ अपना विधान निर्माण करने की कोशिश करें"



जिस समय सरदार पटेल देसी राज्यों को एक सूत्र में बांधने के प्रयासों में लगे हुए थे उन्हीं दिनों भारत की एकता को छिन्न भिन्न करने के लिए जोधपुर जैसलमेर और बीकानेर के राजाओं को पाकिस्तान में मिलाने का जिन्ना का प्रयास जारी था लेकिन सरदार पटेल ने अपनी सतर्कता और दूरदर्शिता से उन्हें भारतीय संघ में सम्मिलित करके राजस्थान को टुकड़े-टुकड़े होने से बचा लिया ।



जिन्ना ने भारत की एकता को छिन्न  भिन्न करने के लिए के बाद एक कुटिल चाल चली कश्मीर, हैदराबाद जूनागढ़ दक्षिण भारत की त्रवंकोर कोचि भी कुछ ऐसी रियासत थी जिनको अपनी तमाम कोशिशें के बाद भी वह अपने जाल में फसाने मे नाकामयाब रहा,

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने की वजह से सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक अत्यंत गौरवपूर्ण स्थान पाया है और भारत के निर्माण में उनकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता इसीलिए  सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष की उपाधि से नवाजा गया है और साथ ही अखंड भारत के निर्माण में और भारत की एकता को बनाए रखने में उनके योगदान की वजह से 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मदिन एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है

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