अगर आपका लेखन किसी की जिंदगी बदल दे तो ये अहम होगा: आरिफ नकवी, जर्मनी
आत्मकथा के माध्यम से हम लेखक के युग की समस्याओं और इस युग के इतिहास और संस्कृति को देख सकते हैं : डॉ. शाहनाज़ कादरी
सीसीएसयू के उर्दू विभाग में "महिलाओं की उर्दू आत्मकथा" विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया
मेरठ। आत्मकथा लिखना ही काफी नहीं है, बल्कि यह बताना भी जरूरी है कि आपने इसे क्यों लिखा। यह सोचने की बात है कि इससे समाज और जीवन को क्या फायदा है। जिन आत्मकथाकारों की आत्मकथा हम पढ़ रहे हैं उनके बारे में जानना जरूरी है। यदि आपके लेखन से हमारे जीवन पर कोई फर्क पड़ता है तो यह महत्वपूर्ण होगा। इसलिए, लेखन को वैश्विक संदर्भ में देखा जाना चाहिए। ये प्रसिद्ध लेखक और कवि आरिफ नकवी के शब्द थे, जो उर्दू विभाग द्वारा आयोजित "महिलाओं की उर्दू आत्मकथा" विषय पर अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान ऑनलाइन कह रहे थे।
कार्यक्रम की शुरुआत एमए द्वितीय वर्ष की छात्रा लाइबा ने पवित्र कुरान की तिलावत से की तथा फरहत अख्तर ने हादिया नात पेश की. अध्यक्षता जमशेदपुरी और जर्मनी के मशहूर लेखक आरिफ नकवी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. निशान जैदी, गाजियाबाद और डॉ. शाहनाज कादरी, कश्मीर ने ऑनलाइन भाग लिया, जबकि डॉ. चांदनी अब्बासी पेपर लेखिका के रूप में उपस्थित थीं। आत्मकथा "शैडोज़ ऑफ फ्रीडम" पर राकिया जमाल ने "महिला आत्मकथा का विश्लेषण" और डॉ. फाहिमा इलियास "21वीं सदी में आत्मकथा पर एक नजर" पर अपने व्यावहारिक शोध प्रपत्र प्रस्तुत किए। अतिथियों का परिचय रिसर्च स्कॉलर शाहनाज परवीन ने, स्वागत भाषण निज़ात अख्तर, संचालन उज़मा सहर ने और धन्यवाद ज्ञापन शाह-ए-ज़मन ने किया।
उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. असलम जमशेद पुरी ने कहा कि डॉ. इरशाद स्यानवी ने उर्दू आत्मकथा की परंपरा के बारे में अहम जानकारी दी और महत्वपूर्ण महिला उर्दू आत्मकथाकारों के नाम स्पष्ट किये। उर्दू आत्मकथा को स्थायित्व देने वाली महिलाएं क़रात-उल- के साथ-साथ हैं। कुर्तुल ऐन हैदर एवं अन्य लेखिकाएं भी आगे आई हैं। इनमें नफीस बानो शमा की आत्मकथा "ईव टेकड आउट ऑफ़ पैराडाइज़" को हम नज़रअंदाज नहीं कर सकते, जिसे सराहा और पढ़ा जाता है। आज का प्रोग्राम इस मायने में भी अद्वितीय है कि सभी आत्मकथाकार महिलाएं हैं।
आत्मकथा लिखना किसी सामान्य व्यक्ति का काम नहीं है क्योंकि इसमें कई मानवीय वास्तविकताएं समाहित होती हैं। कई महिलाओं ने भी बेहतरीन आत्मकथाएं लिखीं ।यह बात डॉ. शाहनाज कादरी ने कही कि इस साप्ताहिक कार्यक्रम "अदबनुमा" में अच्छे विषयों का चयन किया जाता है, जब भी हम इस कार्यक्रम में आये तो एक नया विषय आया।
आयुसा की अध्यक्षा डॉ रेशमा परवीन ने कहा कि आज का विषय बहुत महत्वपूर्ण है। महिलाओं की आत्मकथा से यह भी पता चलता है कि उनके भेद क्या हैं और उनके गुण क्या हैं। इस शैली के साथ-साथ ख़्वातीनों की ईमानदारी, कड़ी मेहनत और वास्तविकता का भी पता चलता है। इस अवसर पर अनेक छात्र छात्राएं और शिक्षक ऑनलाइन उपस्थित रहे।
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