छात्रों को न्यूट्रिशन और साफ-सफाई के बारे में जागरूक किया
नवभारत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हुआ किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन
टीबी उन्मूलन कार्यक्रम और टीबी से बचाव के बारे में भी बताया
हापुड़, 25 सितंबर, 2023। राष्ट्रीय बाल/ किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके/ आरकेएसके) के अंतर्गत जनपद के छपकौली स्थित नवभारत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सोमवार को किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डीईआईसी मैनेजर डा. मयंक चौधरी ने छात्र-छात्राओं को न्यूट्रिशन और साफ-सफाई के बारे में बताया। उन्हें बताया गया कि पौष्टिक भोजन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहती है और ऐसे में कोई भी संक्रमण लगने का खतरा काफी कम हो जाता है। हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से शरीर को लौह तत्व प्राप्त होते हैं, खासकर किशोरियों को अच्छी सेहत के लिए अधिक लौह तत्वों की आवश्यकता होती है। हाथों की साफ-सफाई भी तमाम संक्रामक रोगों से बचाव करने में सहायक होती है। इसलिए खाना खाने से पहले और शौच जाने के बाद अपने हाथों को साबुन-पानी से अच्छे से धोएं। बच्चों ने वाद - विवाद, पोस्टर प्रतियोगिता और योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया, अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरस्कृत किया गया।
डा. मयंक चौधरी ने बताया - 12 से 18 वर्ष की आयु बड़ी संवेदनशील होती है। इस आयु वर्ग में गलत संगत में पड़ने का खतरा सबसे ज्यादा होता है और यही वह समय है जब सोशल मीडिया के इस्तेमाल में जरा सी चूक आपका कैरियर बर्बाद कर सकती है, इसलिए मोबाइल का प्रयोग बहुत ही संयमित ढंग से करें। लंबे समय तक स्क्रीन पर रहना आंखों के लिए घातक हो सकता। ईयर फोन का अधिक इस्तेमाल कानों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। उन्होंने खासकर छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा - गुड टच और बैड टच के बारे में फर्क करना सीखें और बैड टच की स्थिति में तत्काल अपने शिक्षक या माता-पिता को बताएं। उन्होंने कहा इस आयु वर्ग में दूसरे लिंग के प्रति लगाव आम बात है लेकिन इसमें भी अपना अच्छा-बुरा पहचानने की कोशिश करें।
जिला क्षय रोग विभाग से जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने अपने संबोधन में बताया - टीबी और पोषण का सीधा नाता है। अच्छे पोषण से न केवल टीबी के उपचार में मदद मिलती है बल्कि अच्छा पोषक भोजन टीबी होने से भी बचाता है। आप पोषणयुक्त भोजन करेंगे तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी और आप टीबी समेत अन्य संक्रामक बीमारियों से बचे रहेंगे। फेफड़ों वाली टीबी संक्रामक टीबी होती है, यह खांसते और बोलते समय मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलेट के जरिए फैलती है।
उन्होंने कहा - अपने घर जाकर बताएं कि दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी में बलगम या खून आना, वजन कम होना, छाती में दर्द, शाम के समय बुखार आना और रात में सोते समय पसीना आना टीबी के लक्षण हो सकते हैं, इनमें से कोई लक्षण आने पर टीबी की जांच कराएं। जांच और उपचार की सुविधा सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। प्रधानाचार्य हेमंत शर्मा ने भी बच्चों को पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान आरबीएसके टीम से डा. जुल्फिकार, डा. प्रीति सिंह, फार्मासिस्ट बिजेंद्र सिंह और स्टाफ नर्स शालिनी सिंह का सहयोग रहा।
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