बिहार में जाति आधारित सर्वे मामला

 पटना हाईकोर्ट ने जनगणना को दी हरी झंडी
 इसे सर्वे की तरह कराने के लिए सरकार को मिली मंजूरी
पटना (एजेंसी)।
मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने इसे सर्वे की तरह कराने की मंजूरी दे दी है। जल्दी ही बिहार सरकार फिर से जातीय जन-जनगणना शुरू करवाएगी। हालांकि कोर्ट के इस फैसले से याचिकाकर्ता नाखुश हैं। उनका कहना है कि अब वह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
कोर्ट ने जाति सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिससे राज्य में जारी जातिगत जनगणना बिना किसी बाधा के आगे बढ़ सकेगी। इससे पहले जातीय जनगणना के ख़िलाफ़ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाख़िल की गई थीं, जिनमें राज्य में जाति सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए नीतीश सरकार के फ़ैसले का समर्थन किया है।
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट की दी तारीख के अंदर बिहार में जातीय जनगणना को लेकर उठ रहे सवालों पर सुनवाई कर ली। चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन व जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ ने लगातार पांच दिनों तक (3 जुलाई से लेकर 7 जुलाई तक) याचिकाकर्ता और बिहार सरकार की दलीलें सुनीं। कोर्ट ने जाति आधारित जनगणना बताने वालों की भी पूरी दलील सुन ली और फिर सरकार के उस दावे का पक्ष भी सुना, जिसके अनुसार यह जाति आधारित सर्वे है।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को तीसरी बार बिहार की जाति आधारित जन-गणना के केस को पटना हाईकोर्ट के पास भेजा था। दो बार जनहित के नाम पर याचिका पहुंचने पर सुप्रीम न्यायालय ने इसे हाईकोर्ट का केस बताते हुए वापस किया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा- “पटना हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले में काफी हद तक स्पष्टता है, लेकिन अंतिम फैसला आए बगैर सुप्रीम कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं होगी।

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