युवा ऐसे रखें अपनी सेहत का ख्याल
आधुनिक जीवनशैली की व्यस्तता के कारण व्यक्ति अपनी सेहत को नजर अंदाज करता रहता है। विशेषकर युवा वर्ग अपने दैनिक जीवन की व्यस्तताओं में उलझे रहने के कारण स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते। आयुर्वेद संहिताओं में प्रत्येक आचार्यों ने सर्वप्रथम अपने स्वास्थ्य का रक्षण करने की बात कहते हुए आरोग्य बनाए रखने के उपायों के बारे में बताया है। कहा भी जाता है कि इलाज कराने से ज्यादा बेहतर है हम ऐसे उपाय करें कि बीमार ही न पड़ें। आयुर्वेद का सिद्धांत भी यही कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिये एक निश्चित दिनचर्या का पालन करना बहुत जरूरी है, जिसके लिए आयुर्वेदाचार्यों ने दिनचर्या तथा ऋतुचर्या पालन पर बहुत महत्व दिया है।
दिनचर्या अर्थात दैनिक जीवन से संबंधित नियमों का पालन करना तथा ऋतुचर्या अर्थात अलग-अलग ऋतु या मौसम के अनुसार आहार-विहार अपनाना। यदि हम आयुर्वेद के इन सिद्धांतों को अपने दैनिक जीवन में अपनाएं तो निश्चित रुप से आरोग्य प्राप्ति की जा सकती है।
आहार
आहार जीवन का आधार है। सभी को मात्रा के अनुसार आहार करना चाहिए। उचित प्रकार से किया गया भोजन मनुष्य की जठराग्नि दीप्त करता है।
निद्रा
शरीर के लिए नींद बहुत आवश्यक है। समय पर सोने की आदत डालें। असमय सोना या आवश्यकता से अधिक सोना दोषों को प्रकुपित करता है। रात्रि में जागने से शरीर में रुक्षता उत्पन्न होती है, जिससे वात प्रकुपित होता है। इसी प्रकार दिन में सोने से कफ की वृद्धि होती है, जिससे शरीर में स्निग्धता आती है। असमय सोने से मोह, ज्वर, पीनस, शिरोरोग, मंदाग्नि जैसे रोग हो सकते हैं। समुचित रूप से निद्रा न आने पर भी अंगमर्द, सिर में भारीपन, जम्हाई, चक्कर आना आदि लक्षण होते हैं। जिसे पूर्ण निद्रा न आती हो उसे दूध, दही, अभ्यंग, उबटन, स्नान, सिर तथा कानों में तर्पण, स्नेह का प्रयोग करना चाहिए। रात्रि में समय पर सोना अतिआवश्यक है।
ब्रह्मचर्य पालन
दैनिक जीवन में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन अति आवश्यक है, इससे आरोग्यता, शारीरिक पुष्टि, इन्द्रिय बल, शारीरिक तथा मानसिक बल अधिक होता है। हालांकि आजकल की व्यस्त जीवनशैली के चलते अधिकांश युवा अपने स्वास्थ्य को अनदेखा कर देते हैं। फिर भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर जीवन में कुछ नियमों का पालन करके स्वयं को स्वस्थ रखा जा सकता है आगे हम इन्हीं विषयों पर चर्चा करेंगे।
प्रात: काल जल्दी उठें तथा योग अथवा व्यायाम जरूर करें। प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट व्यायाम की आदत डालें। सोने तथा जागने का एक नियमित क्रम बनाएं, ऐसा करने से आप शरीर में अधिक स्फूर्ति का अनुभव करेंगे।
नाश्ता है जरूरी
सुबह का नाश्ता बहुत जरूरी होता है। अच्छा और पौष्टिक नाश्ता करें। आप दिन भर में कितना भी व्यस्त रहते हों, समय पर भोजन अवश्य करें क्योंकि असमय आहार ग्रहण करना हमारी जठराग्नि को विकृत कर देता है, जिससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। आहार में मौसमी फल, सब्जियां, अनाज, दालें, दूध आदि अवश्य शामिल करें। जहां तक संभव हो, $फास्ट-$फूड और बाहर का खाना खाने से बचें। दिनभर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पिएं।
तनाव से बनाएं दूरी
छोटी-छोटी बातों का तनाव न पालें। पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद न आने का प्रमुख कारण तनाव है। खुश रहने का प्रयास करें। परिजनों तथा दोस्तों के साथ कुछ समय जरूर व्यतीत करें। खुशहाल रिश्ते तनाव तथा अवसाद से दूर रखने में बहुत मददगार होते हैं।
व्यसन से रहें दूर
किसी भी प्रकार के नशे के सेवन से दूर रहे । नशा हर प्रकार से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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