छात्रों पर कम हो दबाव
इन दिनों छात्रों के सुसाइड करने की घटनाएं आम हो चलीं हैं। मेडिकल शिक्षा का हब कोटा तो इन दिनों काफी डिप्रेशन में है, क्योंकि यहां छात्रों में सुसाइड की घटना बार-बार दोहराई जा रही है। हमें यह सोचना होगा कि व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण चीज है, लेकिन आजकल अच्छे नंबर लाने का बहुत दबाव है। छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा कठिन होती जा रही है। ऐसे में छात्रों के दबाव को कम करने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है। सबसे पहले जब बच्चे स्कूल जाते हैं तो माता-पिता उनसे अच्छे रिजल्ट की उम्मीद करते हैं। स्कूलों से वापस आने के बाद उन्हें निजी शिक्षण कक्षाओं में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्हें फुर्सत ही नहीं मिलती। इसी तरह विश्वविद्यालयों सीटों की संख्या कम होने के कारण छात्रों को प्रवेश पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है। इससे छात्रों पर भारी दबाव भी पड़ता है। इसके अलावा, यह छात्रों के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है। जब पढ़ाई और प्रतियोगिता का दबाव बढ़ता है तो इसका प्रभाव छात्रों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इस दबाव को कम करने के लिए माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनके बच्चे भी अवकाश के समय के हकदार हैं, प्रतियोगिता को कम करने के लिए अधिक विश्वविद्यालयों का भी निर्माण किया जाना चाहिए। स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव छात्रों में तनाव और चिंता को बढ़ाता है, जिससे शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य खराब होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिन अपने वार्षिक ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ बातचीत की। बातचीत के दौरान उन्होंने भी कहा कि विद्यार्थियों के लिए परीक्षा एकमात्र पड़ाव है, तनाव नहीं, इसलिए विद्यार्थियों को परीक्षा के दिनों को मानसिक दबाव में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि वे बच्चों पर अंकों को लेकर दबाव न बनाएं, हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने भी हाल ही में एग्जाम वॉरियर्स में बच्चों को प्रेरित किया। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में विद्यार्थियों और बच्चों को मानसिक तौर से मुक्त करना एक बहुत अहम कार्य है। कक्षा कार्य, परीक्षा और आकलन के लिए स्पष्ट और यथार्थवादी अपेक्षाएं निर्धारित करें। सहायता प्राप्त करने की रणनीतियों को साझा करें, यदि छात्र अभिभूत महसूस करते हैं तो उनका उपयोग कर सकते हैं। अपने छात्रों को याद दिलाएं कि एक विकास मानसिकता, जहां विफलता को विकास और सीखने के अवसर के रूप में देखा जाता है, माध्यमिक विद्यालय में सफलता का एक प्रमुख पहलू है। ज्यादा से ज्यादा नंबर लेने की होड़ में सृजनात्मक शक्ति कमजोर हो सकती है। इसलिए ज्यादा अंकों की अपेक्षा सृजनात्मक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
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