आज के कलयुग में श्रवण कुमार जिंदा है

 दादा-दादी को पालकी में बैठा कर कंधे के सहारे हरिद्वार ला रहा पोता 

ऐसे शिवभक्त से युवओं को लेनी चाहिए प्रेरणा 

मेरठ।  सावन का पवित्र महिना चल रहा है और शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर निकल चुके हैं, कोई नंगे पैर तो कोई कांवड़ लिए भोले बाबा के दर्शन को जा रहा है लेकिन एक कलयुगी श्रवण कुमार कांवड़ यात्रा के दौरान अपने 

  दादा दादी को लिए भोले नाथ के दर्शन कर हरिद्वार से मेरठ तक पैदल आया है। यह उन युवाओं के लिए एक सबक है जो अपने बुर्जुगों काे भूल जाते है। 

 बुधवार को  मेरठ में एक ऐसी भक्ति देखने को मिली जब गाज़ियाबाद के मुसाडीपुर गांव का एक शिव भक्त अपने दादा-दादी को पालकी में बैठाकर हरिद्वार से कंधे के सहारा शिवालय की ओर बढ रहा है। ऐसे शिव भक्त को अगर कलयुगी श्रवण कुमार कहे तो ये भी उसके लिए सटीक बैठेगा।

जहाँ श्रवण कुमार ने अपने बूढ़े माता पिता को तराजू नुमा पालकी में बैठा कर तीर्थ यात्रा करवाई थी वहीं गाज़ियाबाद के मुसाडीपुर में भी आज एक पोता राहुल सैनी कलयुगी श्रवण कुमार बन गया। शिव भक्त राहुल सैनी अपने बूढ़े दादा दादी को तीर्थ यात्रा पर लेकर निकला, उसे भी दादा दादी को तीर्थ करवाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बता दें कि राहुल सैनी ने तराजू नुमा पालकी में एक तरफ अपने दादा को तो दूसरी तरफ दादी को बैठाया और वही पालकी में अमृत गंगाजल रखा और फिर हरिद्वार से मेरठ तक यह यात्रा बड़ी मशक्कत और कठिनाई से पूरी की इस यात्रा को मेरठ तक पूरा करने में राहुल को लगभग 16 दिन लग गए इसके बाद व अपने गंतन्त्व गाज़ियाबाद की ओर बढ़ रहा है। जब श्रद्धालु मेरठ की सरजमीं पर पहुँचा तो हमने उनसे बात की इसके साथ ही राहुल और उनके दादा ने सभी श्रद्धालुओ व देशवासियो को सन्देश भी दिया कि सभी को अपने माता-पिता की हमेशा सदैव सेवा करनी चाहिये।उन्हें कभी भी नहीं भूलना व दरकिनार करना चाहिए है। क्योंकि उस ऐज में उन्हें भी आना है। 

 राहुल सैनी ने बताया कि उसका एक सपना था वह अपने दादा-दादी को पालकी में बैठाकर कंधे के सहारे वह हरिद्वार लेकर आए। उसकी वह मनोकामना अब पूरी हो रही है। युवाओं को संदेश देते हुए राहुल ने कहा कि युवाओं को अपने माता-पिता व दादा-दादी  को नहीं भूलना चाहिए वह हमारी धनोहर है। 


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