चेहरे का नूर फीका कर रहे गैजेट्स

कामकाजी हों या गृहिणी- महिलाओं की दिनचर्या का बड़ा हिस्सा स्क्रीन के सामने बीतने लगा है। वर्किंग वूमन ही नहीं, हाउस वाइव्स भी अच्छा खासा वक्त स्क्रीन में झांकते हुए बिता रही हैं। पर जिन स्मार्ट गैजेट्स ने जीवन आसान किया है, सारी दुनिया को जोड़ा है। पल भर में तस्वीरें खींचना ही नहीं बल्कि उन्हें मनचाही खूबसूरती के रंग में रंगने की तकनीक तक हमारी झोली में डाली है। वही गैजेट्स चेहरे का नूर भी फीका कर रहे हैं। दरअसल, इन गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट सेहत को हर तरह से नुकसान ही पहुंचा रही है। ताज़ा रिसर्च बताती हैं कि स्मार्ट फोन से निकलने वाली नीली रोशनी स्किन के लिए बहुत ज्यादा घातक है।
तकनीक का खतरा पहचानें
दरअसल, स्मार्ट गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट भी एक तरह का रेडिएशन ही है। जिसका आंखों ही नहीं, स्किन पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। द हेल्थ साइट में प्रकाशित समाचार के मुताबिक, मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी उम्र से पहले बुढ़ापा और धूप में न निकलने पर भी स्किन टैनिंग जैसी परेशानी की वजह बन रही है। साथ ही यह नीली रोशनी चेहरे पर डार्क स्पॉट और पिग्मेंटेशन जैसी स्किन की कई समस्याओं का कारण हो सकती हैं । इसकी वजह यह है कि नीली रोशनी का यूजर्स की स्किन टोन पर असर पड़ता है। स्मार्ट गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट की किरणें स्क्रीन में झांक रहे इंसान की स्किन टोन को बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं।
गैजेट्स से निकलने वाले इस प्रकाश के दुष्प्रभाव को आमतौर पर आंखों को नुकसान पहुंचाने से ही जोड़कर देखा जाता है। जबकि यह चेहरे की सुंदरता को भी फीका करने वाला है। असल में स्मार्ट गैजेट्स से निकलने वाली यह रोशनी त्वचा के रोम-रोम में समाते हुए गहराई तक जाती है। जिसके चलते खुजली, रूखापन और टैनिंग की समस्या शुरू हो जाती है। इतना ही नहीं, हरदम स्क्रीन के सामने रहने और गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से स्किन के बहुत ज्यादा रूखा हो जाने का खतरा है।
सजगता बरतें
तकनीकी गैजेट्स से उपजी समस्याओं का हल कुछ हद तकनीक के पास ही है। कामकाज के लिए आप जो लैपटॉप या कम्पयूटर इस्तेमाल करती हैं, उस सिस्टम की स्क्रीन पर रेडिएशन कम करने वाला स्क्रीन गार्ड लगाना कुछ हद तक मददगार साबित हो सकता है। साथ ही स्मार्ट फोन जैसे डिवाइसेज को डार्क में इस्तेमाल करना भी फायदेमंद है। विशेषज्ञ भी चेताते हैं कि धूप में एक घंटे के समय में स्किन को जितना नुकसान होता है उससे कहीं ज्यादा इन गैजेट्स की ब्लू लाइट त्वचा के लिए हानिकारक है।
 समझना मुश्किल नहीं कि आंखें हों या स्किन, पर्याप्त रोशनी के अभाव में स्क्रीन में झांकते रहना और नुकसानदेह ही साबित होगा। समय रहते ऐसी आदतों पर लगाम लगाना आवश्यक है। स्मार्ट गैजेट्स का इस्तेमाल करते हुए सजगता से ऐसी सुविधाओं और सेटिंग्स को चुनना जरूरी है जो ऐसी समस्याओं से बचाएं।
इस्तेमाल का समय घटाएं
तकनीकी गैजेट्स की वजह से पैदा हो रही शारीरिक-मानसिक परेशानियों से बचने के लिए अनुशासन से बढ़कर कोई टेक्नीक नहीं। आत्म नियमन के बल पर न केवल इनका सकारात्मक इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि समस्या से भी बचा जा सकता है। ऐसे में स्किन प्रॉब्ल्म्स से बचने के लिए भी हर पल स्मार्ट फोन में झांकते रहने की आदत पर लगाम लगाएं। समय के साथ और सुविधाओं से लैस होते जा रहे गैजेट्स से निकलने वाली यह नीली रोशनी ही नहीं दूसरी तरह के नुकसान भी बढ़ ही रहे हैं। ऐसे में अधिकतर समस्याओं से बचने का उपाय इनका कम से कम इस्तेमाल करना ही है। यूं भी गैजेट्स में गुम रहना स्किन ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य से लेकर आपकी दिनचर्या तक, हर चीज़ पर नकारात्मक असर ही डालता है। विशेषज्ञ इन समस्याओं को ‘इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन सिंड्रोम' का नाम देते हुए यह साफ कह चुके हैं कि स्मार्ट फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर की डिजिटल स्क्रीन में ज़रूरत से ज़्यादा झांकते रहना कई बीमारियों को न्योता दे रहा है। मात्र 3 साल के बच्चों से लेकर लेकर बुजुर्गों तक, सभी को ऐसी समस्याएं अपनी चपेट में ले रही हैं।
जरूरी है कि इनके इस्तेमाल के मामले में आत्म नियमन की राह चुनी जाए। केवल खूबसूरती कम होने के भय से नहीं बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत समस्याओं से बचने के लिए यह अनुशासन आवश्यक है।

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