अपनी मर्जी से सेक्स वर्क करना अपराध नहींः सेशन कोर्ट

 सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह का काम अपराध की श्रेणी में
मुंबई (एजेंसी)।
मुंबई की एक सत्र अदालत ने 34 साल की एक महिला सेक्स वर्कर की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि सेक्स वर्क को अपराध नहीं माना जा सकता है। अगर कोई अपनी मर्जी से सेक्स करता है तो यह अपराध नहीं है। हालांकि, सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह का काम करना अपराध की श्रेणी में आएगा। अदालत ने आगे कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को इस तरह के काम से दिक्कत हो सकती है, इसलिए वहां अगर कोई सेक्स वर्क करता है तो इसे अपराध माना जाएगा।
दरअसल, फरवरी में एक 34 साल की महिला को एक रेड के दौरान गिरफ्तार किया गया था। तब से वह सरकारी आश्रय में ही रह रही है। कहा जा रहा है कि जब महिला को गिरफ्तार किया था, तब उसके बालिग होने की बात सामने आई थी। इसलिए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस साल 15 मार्च को तक उसकी सुरक्षा और आश्रय को लेकर हिरासत में रखने का आदेश दिया था।
महिला ने इस आदेश के खिलाफ सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सीवी पाटिल ने पिछले महीने मजिस्ट्रेट अदालत के दिए गए आदेश को रद्द कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि अनुच्छेद 19 के तहत देश के किसी कोने में आना-जाना और रहना मौलिक आधिकार का हिस्सा है। इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। इसका विस्तृत आदेश हाल ही में उपलब्ध कराया गया है।
इसमें कहा गया है कि पीड़िता इस देश की नागरिक है। अगर बेवजह उसे हिरासत में लिया गया है तो यह गलत है। पुलिस को इस बात की जांच करनी चाहिए थी कि क्या वह सार्वजनिक स्थान पर भी सेक्स वर्क कर रही है। अगर ऐसा नहीं था तो यह अपराध नहीं है। अदालत ने कहा कि पीड़िता को कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। उसके दो बच्चे भी हैं और उन्हें अपनी मां की जरूरत है।
वहीं, पुलिस का कहना था कि जानकारी मिली थी कि एक होटल मालिक जबरदस्ती महिलाओं से वेश्यावृत्ति करवाता है। इसके बाद नकली ग्राहक बनकर धर पकड़ की गई थी।

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