लोकतंत्र में कोई अजेय नहीं

कांग्रेस नेतृत्व के ये संदेश बताते हैं कि यह पार्टी भविष्य में भी जनहित की सकारात्मक राजनीति ही करेगी। कांग्रेस यह कभी नहीं भूल सकती कि देश की जनता ने लड़कर आजादी हासिल की और लाखों कुर्बानियों के बाद एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समावेशी भारत का निर्माण हुआ है। देश का यह गौरवशाली इतिहास ही कांग्रेस की विरासत है।कर्नाटक चुनाव ने मजबूती से यह स्थापित किया है कि जनता के असली मुद्दों पर चुनाव जीता जा सकता है। ग्रामीण और शहरी गरीब, मजदूर-किसान, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, आदिवासी, महिला और युवाओं की बढ़ती मुसीबतें, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ही जनता के असल मुद्दे हैं और इन पर टिके रहकर जनता का विश्वास जीता जा सकता है।कर्नाटक चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के अजेय होने का मिथक ध्वस्त हो गया। कहा जाता है कि भाजपा पूरे देश में हर बूथ पर इतनी मजबूत है कि उसे हराया नहीं जा सकता। यह सही है कि भाजपा का संगठन मजबूत है, लेकिन जनता की जागरूकता और एकता के सामने वे महज कागजी शेर हैं। कर्नाटक चुनाव में सबसे अहम जो धारणा टूटी है वो ये थी कि भाजपा धर्म और आस्था का बेजा इस्तेमाल करके किसी भी सूरत में चुनाव जीत सकती है। कर्नाटक में पहली बार देखा गया जब किसी प्रधानमंत्री ने खुलेआम बजरंग बली के नाम पर वोट मांगा। यह भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति का चरम था। लेकिन मठों, मंदिरों और सशक्त धार्मिक परंपराओं वाले कर्नाटक की आस्थावान जनता ने धर्म के चालाक और अनैतिक इस्तेमाल को नकार दिया और अपने बेहतर भविष्य का सकारात्मक रास्ता चुना।

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