अब महिलाएं समझने लगीं हैं संस्थागत प्रसव के लाभ

संस्थागत प्रसव के मामलों में हुई प्रगति, सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा विश्वास, एक साल में 27130 प्रसव कराए गए 


मुजफ्फरनगर, 23 मई 2023।
महिलाएं भी अब समझने लगी हैं कि उन्हें संस्थागत प्रसव ही करवाना चाहिए, जिससे प्रसव के दौरान वह और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें। जिले में संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूकता देखने को मिल रही, जिसके परिणाम स्वरूप संस्थागत प्रसव के आंकड़े बढ़े हैं। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) 2019-21 के अनुसार जिले में 87.0 फीसदी संस्थागत प्रसव के मामले सामने आए हैं। वहीं 2022-23 (मार्च) तक 27130 सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराए गए है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया - जिले में संस्थागत प्रसव के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, महिलाएं स्वयं संस्थागत प्रसव के प्रति जागरूक है और समझने लगी हैं कि सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव का होना बहुत जरूरी है। चाहे वह सरकारी अस्पताल में हो या निजी अस्पतालों में। संस्थागत प्रसव के परिणाम स्वरूप शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। वहीं माता और शिशु के समग्र स्वास्थ्य की स्थिति में वृद्धि भी की जा सकती है। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) 2019-21 के अनुसार जिले में 87.0 फीसदी संस्थागत प्रसव के मामले सामने आए हैं। वहीं 2022-23 (मार्च) तक 27130 सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराए गए हैं।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव निगम ने बताया - संस्थागत प्रसव का तात्पर्य चिकित्सा संस्थान में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मियों के पर्यवेक्षण में एक बच्चे को जन्म देना है, जहां स्थिति को संभालने और माता व शिशु के जीवन को बचाने के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। यदि जच्चा बच्चा दोनों को किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो आपातकालीन स्थिति में उन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। नवजात शिशु की देखभाल के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा मौजूद रहती है एवं बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा नियमित रूप से जांच की जाती है।

जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. आभा आत्रे ने बताया - मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार की ओर से कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। गर्भवती को 102 व 108 एंबुलेंस से आने-जाने की सुविधा मौजूद है।

उन्होंने कहा - संस्थागत प्रसव लाभ के लिए अस्पताल आई महिलाओं को जिला महिला अस्पताल में पूरी तरह चिकित्सकीय सलाह पर रखा जाता है तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का एक विशेष दल चौबीस घंटे निगरानी करता है। प्रसव में आने वाली परेशानी का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है।

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