एनसीआरटी किताबों में बदलाव पर घमासान

 गांधी-आरएसएस और हिंदू-मुस्लिम एकता के पाठ हटाए गए
नई दिल्ली (एजेंसी)।
गांधीजी की मृत्यु का देश में सांप्रदायिक स्थिति पर जादुई प्रभाव पड़ा, गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता की खोज ने हिंदू चरमपंथियों को उकसाया और आरएसएस जैसे संगठन पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। ये सब अब बीते जमाने के इतिहास की बातें होने वाली हैं।
युवा पीढ़ी को ये सब बातें अब स्कूली किताबों में पढ़ने को नहीं मिलने वाली। क्योंकि इनसे जुड़े पाठ नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के नए शैक्षणिक सत्र 2023-24 से आगे के लिए प्रस्तावित कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से गायब हैं।
एनसीईआरटी ने पिछले साल अपने सिलेबस रेशनलाइजेशन अभ्यास के हिस्से के रूप में, ओवरलैपिंग और अप्रासंगिक कारणों का हवाला देते हुए पाठ्यक्रम से कुछ हिस्सों को हटा दिया था जिसमें गुजरात दंगों, मुगल अदालतों, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सली आंदोलन पर सबक आदि शामिल थे। इसकी नई पाठ्यपुस्तकों में महात्मा गांधी से जुड़ी कई अहम घटनाओं और प्रसंगों का भी कोई उल्लेख नहीं है। हालांकि, एनसीईआरटी का दावा है कि इस साल पाठ्यक्रम में कोई कटौती नहीं की गई है और पिछले साल जून में पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया गया था।
बदलाव पिछले साल हुए, इस साल कुछ नया नहीं: एनसीईआरटी
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा कि पूरी युक्तिकरण कवायद पिछले साल की गई थी, इस साल कुछ भी नया नहीं हुआ है। हालांकि, उन्होंने गायब अंशों पर कोई टिप्पणी नहीं की, जो युक्तिकरण के समय अप्रासंगिक बताए गए थे।


किताबों में बदलाव पर भड़की कांग्रेस

नई दिल्ली (एजेंसी)। एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकों में हुई ऐतिहासिक घटनाओं एवं प्रसंगों की काट-छांट पर कांग्रेस भड़की हुई है। कांग्रेस ने बुधवार को एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से गायब कुछ पाठों को लेकर सरकार पर निशाना साधा, जिसमें महात्मा गांधी की हत्या, गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता की खोज, कुछ समय के लिए आरएसएस पर प्रतिबंध आदि नए शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों से गायब हैं। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी गुजरात दंगों से जुड़ा पाठ हटाने पर सरकार की आलोचना की।

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