आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हस्तिनापुर मेंं पहुंचे

 जम्बूद्वीप की रचना देख हुए खुश
मेरठ। शनिवार को  स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत हस्तिनापुर पहुंच गये। कार्यक्रम की व्यवस्था को देख आरएसएस प्रमुख गदगद हो गये।  आरएसएस प्रमुख की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किये गये है। उनके लिए त्रिस्तरीय घेरा रखा गया है। दो दिन जंबूद्वीप सैलानियों केलिएं बंद रहेगा।
 बता दें भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में हस्तिनापुर के जंबूद्वीप पर शुक्रवार को गो आधारित जैविक कृषि महासम्मेलन शुरू हुआ। शनिवार को दूसरे दिन दिल्ली से कार द्वारा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दोपहर बाद  पहुंचे। उनके कार्यक्रम को देखते हुए यहां सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई है। त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा रखा गया है। सीआईएसएफ कमांडो, यूपी पुलिस, दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस के जवान शामिल हैं। स्वयं एडीजी एडीजी राजीव सभरवाल, आईजी नचिकेता झा व एसपी देहात अनिरुद्ध सिंह यही कैंप किये है। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए जंबूद्वीप शनिवार व रविवार को सैलानियों के लिए बंद किया गया है।भारतीय किसान संघ के कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जैविक खेती के साथ गो आधारित खेती के बारे में किसानों को बताएंगे। रविवार को किसानों को प्राचीन दिगंबर जैन बड़े मंदिर के मोती धनुष अयोध्यापुरी मंडप में किसानों को संबोधित करेंगे।
कृषक महासम्मेलन में भाग लेने के लिए महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली, सिक्किम, बिहार, लातूर, तमिलनाडु, उड़ीसा, मिजोरम, झारखंड, असम, तेलंगाना, मिजोरम, पश्चिम बंगाल आदि से 147 किसानों की टोलियां ट्रेनों से पहुंचीं। संघ के अनुसार करीब 800 जैविक किसानों को बसों से हस्तिनापुर पहुंचाया गया। सिटी स्टेशन पर लगे शिविर में संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी पहुंचे और व्यवस्थाएं देखीं।
गो आधारित खेती पर हो रही चर्चासम्मेलन के दूसरे दिन किसानों को बताया गया कि प्राकृतिक कृषि गो आधारित अर्थात देशी गाय आधारित कृषि है। प्राकृतिक कृषि के माध्यम से किसान गाय की रक्षा कर पाएंगे। आज गांव व कस्बों से लेकर शहरों, महानगरों तक की सड़कों और हाईवे तक पर घुमंतू गायों के झुंड देखे जा सकते हैं। ये किसानों द्वारा छोड़ी हुई ऐसी गाय हैं जो दुग्ध उत्पादन नहीं करती हैं अथवा बांझपन की शिकार हैं। परंतु सरकार ने अब इस समस्या का हल निकाल लिया है, जिसका पूरा खाका तैयार किया गया है। गो आधारित खेती से किसानों के खेतों की उर्वरक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।

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