संपूर्ण इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाती है टीबी : डॉ. लोकेश 

टीबी के बारे में छात्रों को दी जानकारी, बचाव व उपचार के बारे में भी बताया

विश्व क्षय रोग दिवस के उपलक्ष में एसडी कॉलेज ऑफ फार्मेसी में टीबी पर संगोष्ठी का आयोजन

मुजफ्फरनगर, 22 मार्च 2023। भोपा रोड स्थित एसडी कॉलेज ऑफ फार्मेसी में विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च)  के उपलक्ष में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जिला क्षय रोग अधिकारी डा. लोकेश चंद गुप्ता ने छात्रों को टीबी के बारे में जानकारी दी और उससे बचाव व उपचार के बारे में जागरूक किया। इस दौरान कॉलेज के निदेशक डॉ. अरविंद कुमार, एचओडी ईशान, जिला समन्वयक सहबान उल हक, जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर प्रवीन कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।

डॉ. लोकेश चंद गुप्ता ने बताया - भारत को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है। प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने के लिए मुजफ्फरनगर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से विश्व क्षयरोग दिवस  के उपलक्ष्य में स्कूल, कॉलेजों में टीबी के प्रति जागरूकता के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में बुधवार को एसडी कॉलेज ऑफ फार्मेसी में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों को टीबी और उससे बचाव व उपचार के बारे में जागरूक किया गया।

इस दौरान छात्रों ने टीबी से संबंधित सवाल किए, जिसका जवाब में छात्रों को बताया गया कि संपूर्ण इलाज से टीबी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।  बैक्टीरिया के कारण टीबी होती है। बीमारी का पता चलते ही दवा दी जाती है। टीबी के शुरुआती इलाज में प्रथम चरण की दवा ठीक से काम नहीं करती तो फिर द्वितीय चरण की दवा दी जाती है, जिसका कोर्स नौ महीने से लेकर 20 महीने तक का होता है।

जिला समन्वयक सहबान उल हक ने बताया - दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी व बलगम आना, शाम के समय बुखार, सीने में दर्द, भूख न लगना, वजन में अचानक कमी, बलगम में खून का आना व छाती में दर्द रहना आदि टीबी के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया - टीबी के रोगी की बलगम की दो जांच की जाती है। 

जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर प्रवीन कुमार ने बताया - टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। लेकिन, फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक होती है। फेफड़ों की टीबी के रोगी के बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं। रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से यह जीवाणु हवा में फैल जाते हैं और अन्य व्यक्ति के सांस लेने से यह जीवाणु उस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुँच जाते हैं और उसे संक्रमित कर देते हैं।

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