किसानों के नुक़सान की समय से भरपाई जरूरी

- दीपक कुमार त्यागी
इक्कीसवीं सदी के आधुनिक भारत में आज के समय में भी खेती-किसानी पूरी तरह से ही मौसम के मिजाज पर ही निर्भर करती है, क्योंकि मौसम पर तो देश व दुनिया में किसी का भी कोई भी नियंत्रण नहीं चलता है। जिसके चलते भारत में पिछले कुछ वर्षों से मौसम लगातार किसानों को दगा देकर के भारी नुक़सान पहुंचाने का कार्य कर रहा है।
इस वर्ष जब भारत सरकार को रिकॉर्ड तोड़ गेहूं की पैदावार की उम्मीद थी, उस समय मार्च के महीने में हुई बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि व तेज हवाओं ने अन्नदाता किसानों की खेतों में खड़ी हुई फसलों को जबरदस्त नुक़सान पहुंचाने का कार्य किया है, जिसके चलते एक तरफ तो सरकार की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार होने की उम्मीदों को बड़ा झटका लगने की संभावना है, वहीं दूसरी तरफ जगह-जगह हुई बारिश व ओलावृष्टि से फसलों को बड़े पैमाने पर नुक़सान पहुंचा है, बारिश के साथ तेज हवाएं चलने से फसल गिरकर खराब हो गई है, जिसके चलते देश के विभिन्न राज्यों में रबी के सीजन की अधिकांश फसलों सरसों, गेहूं, जौ, जई, आलू, चना, मटर, आम, लीची आदि के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अन्य फल-फूल, साग व सब्जियों, औषधीय पौधों, मसलों आदि की फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।
किसानों के हित से जुड़े इस बेहद ज्वलंत मसलें पर छत्तीसगढ़ के निवासी अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक व एमएसपी गारंटी-किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता "डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी" कहते हैं कि छत्तीसगढ़ की मशहूर  कहावत है कि "दूबर पर दो आषाढ़‌‌" कहावत का मतलब समझना चाहें तो आप असमय बरसात और ओलावृष्टि से बुरी तरह प्रभावित किसानों को देख लीजिए। इस समय ओलावृष्टि ने तैयार गेहूं की खड़ी फसल को जमीन पर पटक दिया है और  किसानों की भी कमर तोड़ दी है।


खेतों में पानी भर जाने के कारण आलू की पूरी फसल सड़ रही है और इसके साथ ही इन किसानों की किस्मत भी। तेज हवाओं ने आम, लीची तथा अन्य मौसमी फसलों की फसल चौपट कर दी है। सरसों की फसल भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। मसाला तथा औषधीय पौधों के किसान भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। सफेद मूसली, अश्वगंधा सहित जड़ वाली तुलसी स्टीविया एवं इन्सुलिन प्लांट जैसे पत्तों वाली सभी जड़ी बूटियों तथा फूलों की खेती को भारी नुकसान हुआ है। सबसे बुरी हालत तो साग सब्जी उत्पादक किसानों के हो गये है।
ओलावृष्टि ने साग सब्जियों की तैयार फसल की मिट्टी पलीत कर दी है। पिछले कुछ वर्षों से केंद्र सरकार किसानों से विमुख चल रही है। आशा है प्राकृतिक आपदा की इस घड़ी में सरकार पीड़ित किसानों के साथ खड़ी होगी तथा उन्हें तत्काल पर्याप्त सहायता राशि जारी करेगी। इससे किसानों को अगली फसल लगाने में मदद मिलेगी एवं भविष्य में देश की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति भी हो पाएगी तथा देश के किसानों में सरकार की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
वहीं सत्याग्रह संघ मध्यप्रदेश के किसान नेता "दीपक पांडे मुदगल"
कहते हैं कि मध्‍य प्रदेश में ओलावृष्टि और वर्षा से रबी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। 20 जिलों के 520 गांवों में 33 हजार 758 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल प्रभावित हुई है, जहां-जहां ओलावृष्टि हुई है, वहां फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। जहां वर्षा के कारण फसल खेत में ही गिर गई, वहां उपज की गुणवत्ता प्रभावित होगी, जिसका नुकसान किसान को उठाना होगा। यहां 20 जिलों में वर्षा और ओलावृष्टि हुई है। इसलिए हमारी मांग है कि इस बार ऋण वसूली माफ की जाए, बकाया बिजली बिल माफ किए जाएं, एक सप्ताह के अंदर पारदर्शिता के साथ सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिया जावे, इस बार एमएसपी का मूल्य पिछले मूल्य से दोगुना किया जाए, मध्यप्रदेश में शिथिल पड़ी भावांतर योजना का भी किसानों को पुनः लाभ मिल सके इस बात का भी ध्यान रखा जाए।
वहीं दिल्ली, हरियाणा, एनसीआर व उत्तर प्रदेश के हालात पर किसान समिति गाजियाबाद के महासचिव आदेश त्यागी कहते हैं कि इस क्षेत्र के अधिकांश जिलों में असमय बारिश, ओलावृष्टि व तेज हवाओं ने अपना रौद्र रूप दिखाकर तांडव मचाकर किसानों की फसलों को बुरी तरह से बर्बाद करने का कार्य किया है। बेमौसम बरसात से गेहूं, आलू, दलहन, फल, फूल व सब्जियों आदि की फसलों को इस क्षेत्र में बहुत ही भारी नुक़सान हुआ है, किसानों पर आर्थिक रूप से अचानक से एक बड़ी आफ़त आ गयी है, मेरी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग है कि वह तुरंत ही किसानों के हित में खेतों में हुए नुक़सान का सर्वे करवा करके, उसकी भरपाई के लिए किसानों को तुरंत मुआवजा राशि प्रदान करके आर्थिक रूप से राहत प्रदान करें, जिससे की धन के अभाव में आगामी फसलों की बुवाई का चक्र प्रभावित नहीं हो पाये।
वैसे भी देखा जाए तो कृषि प्रधान देश भारत में लगभग 70 प्रतिशत के लगभग आबादी किसी ना किसी रूप में कृषि पर ही निर्भर है, इस बड़े वर्ग की आबादी की वार्षिक आय पर पिछले एक सप्ताह में हुई बेमौसम बरसात का बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव डालने का कार्य कर दिया है। इसलिए केंद्र व बारिश ओलावृष्टि से प्रभावित इन राज्यों की सरकारों से अनुरोध है कि वह तत्काल किसानों के नुक़सान की भरपाई के लिए तेजी के साथ पूरी पारदर्शिता से धरातल पर कदम उठाए, जिससे कि आने वाले माह में किसानों की अन्य फसलों की बुवाई प्रभावित नहीं हो और देश में किसी भी प्रकार का भविष्य में  खेती-किसानी से जुड़ा संकट उत्पन्न नहीं हो पाएं।
(वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार)

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