कोई पीछे हटने को तैयार नहीं
आखिर संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा भी पूरी तरह से बर्बाद हो गया। विपक्ष या फिर सत्ता पक्ष दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष हिंडनबर्ग-अडानी मामले में सवाल कर रहा है और संयुक्त संसदीय समिति से इसकी जांच की मांग कर रहा है। लेकिन केंद्र सरकार इस पर न बहस होने दे रही है, न कोई जवाब दे रही है। जैसे चीन की अतिक्रमण नीति पर प्रधानमंत्री मोदी अब तक चीन का नाम सीधे लेने से बचते आए हैं, उसी तरह अडानी प्रकरण पर उन्होंने चुप्पी साध ली है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रधानमंत्री का यह रवैया काफी अजीब है कि विपक्ष आपसे किसी बात पर जवाब चाहे, और आप उसके सवालों को अनसुना ही कर दें, जवाब देना तो दूर की बात है। अडानी प्रकरण पर विपक्ष किसी तरह पीछे नहीं हट रहा है। सत्र चलेगा तो विपक्ष फिर सवाल करना शुरु कर देगा। लेकिन सत्र तो चल ही नहीं पा रहा, क्योंकि भाजपा राहुल गांधी से माफी की मांग पर हंगामा कर रही है। ब्रिटेन के दौरे पर राहुल गांधी ने केंब्रिज से लेकर ब्रिटिश संसद तक जो कुछ कहा, वह सब ऑन रिकार्ड है। फिर भी उसके चुनिंदा हिस्सों को आधे-अधूरे ढंग से पेश कर माहौल ऐसा बना दिया गया है कि राहुल गांधी ने विदेश जाकर देश की आलोचना की और आंतरिक मामलों में दूसरे देशों से मदद मांगी। सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरों के सहारे ट्रोल करने वालों के लिए यह आम बात है। उनका रोजगार झूठ की इसी दुकानदारी से चलता है। लेकिन संसद के माननीय सदस्यों से यह अपेक्षा नहीं होती कि वे भी इसी तर्ज पर चलेंगे। राहुल गांधी माफी मांगे महज इस बात को लेकर सोमवार, मंगलवार, बुधवार और फिर शुक्रवा तक इसी बात पर हंगामा होता रहा और आखिरकार संसद स्थगित कर दी गई। भाजपा शायद यह मानकर चल रही है कि संसद में अडानी प्रकरण नहीं उठेगा या विपक्ष के सदस्यों पर जांच एजेंसियों की दबिश पड़ेगी, तो विपक्ष की आवाज मद्धिम हो जाएगी। लेकिन भाजपा का यह अनुमान गलत साबित हो रहा है। संसद ठप्प होने से विपक्ष जो मांग वहां नहीं उठा पा रहा है, उसे अब सड़कों पर उतर कर उठाया जा रहा है।
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