शराब से बचना ही बेहतर है
अल्कोहल एक ऐसा पेय प्रतिष्ठित हो रहा है जिसका प्रचलन कम होने के स्थान पर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। कोई उत्सव हो अथवा मेहमान-मित्र पार्टी, अल्कोहल का प्रयोग स्टेटस सिंबल समझा जाने लगा है जबकि इससे होने वाली बीमारियों एवं हानियों की ओर बिलकुल ही ध्यान नहीं दिया जाता।
शराब पीने की आदत सामान्यत: क्षणिक आनंद प्राप्ति के लिये, तनाव मुक्ति के लिये अथवा मित्र बंधुओं के साथ समय व्यतीत करने के लिए प्रारम्भ होती है जो आगे चलकर आदत बन जाती है और पारिवारिक प्रतिरोधों के उपरांत मनुष्य के न चाहने पर भी आजीवन उसका पीछा नहीं छोड़ती है।
मद्य-पान से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव का कारण सामाजिक पारिवारिक क्षति, धन की बर्बादी, मानसिक तनाव एवं शारीरिक दुर्बलता होने लगती है। अन्य औषधियों का सेवन करने वाले व्यक्तियों को अल्कोहल से रिएक्शन हो सकता है इसलिये जहां तक हो सके अल्कोहल के सेवन से बचे रहना ही उचित है।
मद्यपान से होने वाली विभिन्न बीमारियां मुख्यत
लिवर में खराबी होने लगती है जो पाचन क्रि या को प्रभावित कर लिवर सिरोसिस एवं हेपेटाईटिस जैसे रोगों को आमंत्रित करता है।
अत्यधिक मद्यपान से लकवा या फालिज होने की सदैव आशंका बनी रहती है और रक्त में ट्राईग्लिसराइड का स्तर बढऩे लगता है।
शरीर में मोटापा बढऩे लगता है।
उच्च रक्तचाप एवं हाइपरटेंशन बढऩे में भी अल्कोहल का अधिकाधिक योगदान है।
हार्टअटैक या एंजाइना की संभावना मद्यपान करने वालों को, मद्यपान न करने वालों की अपेक्षा अधिक रहती है।
महिलाओं के अल्कोहल सेवन से उपरोक्त बीमारियों के अतिरिक्त संतानोत्पत्ति की क्षमता में कमी तथा गर्भपात की संभावना रहती है तथा ऐसी माताओं से जन्मे हुये बच्चे शारीरिक एवं मानसिक विकारग्रस्त हो सकते हैं। यह वर्णन योग्य है कि घटिया एवं अवैध रूप से निर्मित अल्कोहल अधिक घातक प्रमाणित साबित हो सकता है जैसा कि अक्सर देखने, सुनने एवं पढऩे में आता रहता है।
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