नवजात को सांस देने में एम्बुबैग कारगर:- डा. उपाध्याय

न्यूटिमा हॉस्पिटल में उन्नत नवजात पुनर्जीवन कार्यशाला  का आयोजन
 पांच जिलों के 50 से अधिक सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सकों ने लिया भाग
 मेरठ। गढ़ रोड स्थित न्यूटिमा हॉस्पिटल में उन्नत नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम के अन्तर्गत एडवांस ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य में नवजात शिशु की मृत्यु दर को कम करना है। ट्रेनिंग में नवजात शिशु के जन्म के बाद अगर कोई सांस नहीं ले रहा है तो उसे कैसे पुनर्जीवन देना है इसके बारे में सिखाया गया।
 मीडिया को जानकारी देते हुए डाक्टरों की टीम ने बताया कि इस कैंप में मेरठ व आस-पास के जिलों से करीब 50 डाक्टरों को ट्रेनिंग दी गई। जिसमें मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, बागपत, बुलंदशहर, नोएडा मेडिकल कालेज के चिकित्सक भी आदि शामिल हैं। इस ट्रेनिंग में नवजात पुनर्जीवन के किसी भी पहलू में शामिल स्वास्थ्य देखभाल को सिखाया जाता है। जिसमें पैदा होने के बाद नवजात को सांस न आने पर क्या सावधानियां बरतनी है और किस तरह से उपचार कर उसकी जान बचाना मुख्य बिंदु सांस दिया जाना उचित है। इससे शुरूआती मिनटों में ही सांस देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।शुरूआती एक मिनट का डेमो करके समझाया करीब 50 डाक्टरों ने एडवांस ट्रेनिंग कैंप में लिया हिस्सा है। इससे नवजात की मौत के आंकड़ों को कम करने में मदद मिलेगी।
डाक्टर अमित उपाध्याय ने बताया कि नवजात को शुरूआती एक मिनट के भीतर रोने या आवाज न आने पर क्या करना चाहिए। इस प्रक्रिया को एक डेमो के माध्यम से समझाया। बताया कि नवजात के न रोने पर जानकारी के अभाव में डॉक्टर अक्सर कमर पर जोर जोर से हाथ मारना या अन्य जगहों पर थपथपाने लगते हैं जो नवजात के जीवन के लिए घातक साबित हो सकता है और किसी ऑर्गन में चोट पहुंचने की संभावना होती है। ऐसे में एमबुबैग की मदद से नवजात को बचाया जा सकता है।
डा. विनीत सक्सेना ने बताया कि नवजात की मौत में कमी लाने के उद्देश्य से अब तक यूपी में करीब 64 एडवांस ट्रेनिंग कैंप लग चुके हैं। ट्रेनिंग कैंप की दो श्रेणी बनाई गई हैं। पहली श्रेणी है बेसिक और दूसरी एडवांस रखी गई है। बेसिक ट्रेनिंग में सभी नवजात संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल किया गया है। जिसमें चिकित्सक, नर्स, नर्स दाइयों, लाइसेंस प्राप्त दाइयों, श्वसन देखभाल चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवर हैं जो नवजात पुनर्जीवन के दौरान देखभाल करते हैं। एडवांस श्रेणी में केवल डॉक्टरों व सीनियर नर्सों को ट्रेनिंग दी जाती है पूरे देश में अब तक करीब 1 लाख 85 हजार हैल्थ वर्करों व डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
 कार्यशाला डॉ. अमित उपाध्याय, डा. मनीष अग्रवाल, डा. विनीत सक्सेना, डा. रूचिरा, डा. सुरेन्द्र विष्ट, डा. प्रतिमा आनंद, डा. लल्लन भारती आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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