कैप्टन अब्बास अली, एक स्वतंत्रता सेनानी से लेकर राजनेता तक का तय किया सफर

 मेरठ। चौधरी चरण सिंह विवि के नेताजी सुभाष चंद्र बोस हाल में  बुधवार स्वतंत्रता सैनानी कैप्टन अब्बास अली की जयंती मनाई गई। जिसमें उनके बारे में वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
प्रोफेसर राजीव भगत ने कहा कि कैप्टन अब्बास अली भगत सिंह के कांतिकारी विचारों से प्रेरित थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई करते हुए वह कुंवर मोहम्मद अशरफ के संपर्क में आए और अखिल भारतीय छात्र संघ के सदस्य बने। सेना में विद्रोह करने की उनकी प्रेरणा पर वह 1939 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हो गए। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना में उनकी सेवा के दौरान उन्हें भारत के विभिन्न अधिकारी प्रशिक्षण स्कूलों जैसे बैंगलोरए आरआईएएससी डिपो फिरोजपुर पंजाब में तैनात किया गया था। 1945 में जब सुभाष चंद्र बोस ने विद्रोह के लिए बुलाया तो उन्होंने ब्रिटिश सेना छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय सेना आईएनए या आज़ाद हिंद फौज में शामिल हो गए लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जब भारत ने 1947 में आजादी हासिल की तो उन्हें भारत सरकार द्वारा रिहा कर दिया गया था। वह पूरे जीवन में 50 से अधिक बार जेल गए थे और जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था तब वे 19 महीनों तक जेल में रहे थे। डा. जाकिर ने बताया कि 1978 में वह छह साल तक यूपी विधान परिषद के लिए चुने गए थे। वह छह साल तक यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य रहे भी थे। इन्होंने अपनी आत्मकथा ना रहून किसी का दस्तीनीगर लिखा 2008 में मेरा सफरनामा। 11 अक्टूबर 2014 को अली की एक बीमारी के कारण जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ में अली की मृत्यु हो गई। आज के नौजवानो को कैप्टन अब्बास अली जैसे सच्छे देशभक्त बनना चाहिए और देश के प्रगति के लिए कार्यरत रहना चाहिए।

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