बाबा मनोहर नाथ मंदिर में पुलिस के सामने गाडियां तोडी

 जमकर कर दोनो पक्षों में हुआ पथराव , चार घायल ,
मेरठ सिविल लाइन क्षेत्र में स्थित बाबा मनोहर नाथ मंदिर में विवाद का केंद्र बनता जा रहा है। रविवार रात जमकर मंदिर में ईंट.पत्थर चले। कुर्सियां, गाड़ियां और सारा सामान तोड़फोड़ कर बिखरा दिया।मारपीट में गुरूमाता समेत चार लोग घायल हो गये। थाने में गुरूमाता की ओर से चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
विवाद उस समय आरंभ हुआ जब बाबा मनोहर नाथ मंदिर में नए साल पर निलिमानंद की ओर से हवन कुंड में हवन यज्ञ कराया गया था। इस बात का विरोध गिरी समाज के सुशील गिरी और उसके बेटों ने किया था। दो दिन से मंदिर में हवन कुंड पर यज्ञ चल रही थी। रविवार शाम को भी हवन थी। शाम के वक्त जब हवन कुंड पर यज्ञ होने लगा तो सुशील गिरी और उसके बेटों ने बाहरी लोगों के साथ हवन कुंड को हटवाने के लिए वहां आ गए। मंदिर परिसर में सुशील गिरी पक्ष के लोगों ने हंगामा कर हवन कुंड हटाने की मांग पुलिस से की। उस वक्त तो मामला निपट गया। मौके पर तीन सिपाही को तैनात किया गया था।जब हवन कुंड पर पूजा की तैयारी करने लगे तो देर रात दस बजे सुशील गिरी, ईशांक, कपिल, शशांक और 10 से ज्यादा लोग वहां पहुंचे। उनके साथ एक और पांच सिपाही मंदिर में पहुंचे। आते ही सुशील और उसके बेटों ने हवनकुंड में तोड़फोड़ कर दी। बस इसी के बाद तोड़फोड़ और बवाल शुरू हुआ।  सीओ सिविल लाइन अरविन्द चौरासिया मौके पर पहुंचे और मंदिर समिति के लोगों से पूछताछ की। पुलिस ने सुशील गिरी के दो बेटों को हिरासत में लिया है। चार घायलों को जिला अस्पताल के लिए भेजा गया। गुरुमाता निलिमा नंद सहित मंदिर समिति के लोगों की तरफ से थाना सिविल लाइन में तहरीर दी गई है।
मंदिर में समाधि स्थल की जमीन को लेकर है विवाद
पहले भी बाबा मनोहर नाथ की पुण्यतिथि पर मनोहर नाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से भंडारे और समाधि स्थल पर पूजा अर्चना के लिए भक्त आए थे। इस बीच जब मनोहर नाथ मंदिर ट्रस्ट पीठाधीश्वर नीलिमानंद पक्ष के लोग समाधि स्थल पर साफ.सफाई करने पहुंचे तो वहां उपस्थित सुशील गिरी और उनके समर्थकों ने पूजा.अर्चना करने से रोक दिया। इस पर दोनों पक्षों के लोग आमने.सामने आ गए थे।
सुशील गिरी मंदिर समाधि स्थल पर अपना हक बताते हैं। मंदिर अपना हक जताता है। मंदिर के स्वामित्व और अपने पूर्वजों के आधिपत्य को लेकर दोनों पक्षों के बीच सिविल कोर्ट में वाद दायर किए गए। सुशील गिरी का दावा है कि बाबा मनोहर नाथ समाधि उनके पूर्वजों की है। जबकि नीलिमानंद ने बताया कि यह मेरठ का सबसे बड़ा मंदिर मुगल बादशाह शाहजहां के समय है। यह गजट उत्तर प्रदेश सरकार 1922 में दिया गया है।

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