ठंड में बच्चों का रखें खास ख्याल : सीएमएस
शीतलहर को देखते हुए बुजुर्गों को भी सेहत का ध्यान रखने की सलाह
शामली, 5 जनवरी 2023।
शीतलहर के कारण ठंड लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में एक तरफ बुजुर्गों को हड्डियों और जोड़ों के दर्द का सामना करना पड़ रहा है, वहीं बच्चों को निमोनिया जैसी बीमारी से बचाने की जरूरत है। छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस कारण इनको सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या जल्दी हो जाती है इसलिए इनके शरीर को को ढक कर रखें। नाजुक शरीर होने के कारण सर्दी में बच्चे के प्रति जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, यह बातें मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) अंजू जोधा ने कहीं।
डॉ. अंजू ने कहा शीतलहर में शिशु के शरीर को ढककर रखें। नाजुक शरीर होने के कारण उन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है। शिशु की देखभाल की जिम्मेदारी परिवार के सभी लोगों की बढ़ जाती है। ठंड में बच्चों की देखभाल ही उसे बीमारी से बचाने का उपाय है। इन दिनों शिशु को आवश्यकतानुसार गर्म मुलायम कपड़े पहनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का सिर, गला और हाथ पूरी तरह से ढका हुआ हो, पैरों में गर्म मोजे हों। ठंड के दिनों में बच्चों को स्किन रैशेज का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि बच्चे दिन भर कपड़ों में ढके रहते हैं। ऐसे में बच्चों के कपड़ों का सही तरीके से चुनाव नहीं किया गया तो कुछ कपड़े बच्चों के लिए तकलीफदेह साबित हो सकता है। ठंड में बच्चों को पानी में भीगने से बचाएं। बच्चों को खुली हवा में खेलने से रोकें। इससे बच्चों में बुखार का खतरा बना रहता है। साथ ही निमोनिया भी हो सकता है।
उन्होंने कहा-ठंड में बुजुर्गों को भी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। कड़ाके की सर्दी में सुबह - शाम खुले में जाने से बचें और यदि बाहर जाना जरूरी हो तो अच्छे से गर्म कपड़े पहनकर ही जाएं। मधुमेह, रक्तचाप, सांस और दिल के रोगी अपनी दवा का नियमित रूप से सेवन करते रहें और खानपान पर भी ध्यान दें। अधिक बसा व नमक युक्त खाने से परहेज करें। सर्दी के मौसम में रक्तचाप और मधुमेह के रोगियों को अपनी दवा नियमित रूप से लेनी चाहिए। कड़ाके की ठंड में शारीरिक गतिविधियां कम होने से और खानपान में लापरवाही के चलते परेशानी बढ़ने का खतरा रहता है। बेहतर हो कि घर के अंदर ही सुबह-शाम हल्का फुल्का व्यायाम अवश्य करें ताकि शरीर सक्रिय बना रहे।
क्या है निमोनिया के लक्षण
सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं जो बाद में धीरे धीरे या फिर एक दम से बढ़ने लगते हैं।
शरीर में कमजोरी आ जाती है और थकान महसूस होती है।
रोगी को बलगम वाली खांसी आती है।
बुखार के साथ पसीना आता है कंपकंपी महसूस होती है।
सांस लेने में कठिनाई होने से रोगी तेज या जोर जोर से सांस लेने लगता है।
बेचैनी होती है।
भूख लगती है कम या बंद हो जाती है।
दिल की धड़कन तेज हो जाना
मतली और उल्टी आना
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