नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को कैबिनेट की मंजूरी

उत्पादन, उपयोग और निर्यात में भारत को वैश्विक हब बनाने पर जोर
नई दिल्ली (एजेंसी)।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाना है। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन धीरे-धीरे औद्योगिक, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन की ओर ले जाएगा। साथ ही आयात होने वाले जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी आएगी।
बता दें कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के एक बड़े हिस्से को आयात के माध्यम से पूरा करता है। इस ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी मिलने से आयात होने वाले ईंधन की निर्भरता को कम करने के एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए शुरुआत में 19,744 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिसमें अनुसंधान और विकास गतिविधियां शामिल हैं।
इस मिशन के तहत, सरकार के लक्ष्य में वार्षिक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को 5 मिलियन टन तक बढ़ाना, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में लगभग 125 गीगावाट की वृद्धि, 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित करना और लाखों नौकरियां शामिल है। साथ ही जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संचयी कमी करना है। मिशन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को लगभग 50 मिलियन टन कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री ने रखा था प्रस्ताव
वर्ष 2021-22 में बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्रीन ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। वहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2021 को अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के शुभारंभ की घोषणा की थी।

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