आंगनबाड़ी केंद्रों पर मना वजन दिवस, अभिभावकों को बताया वजन के अनुपात में लंबाई का महत्व
उम्र के हिसाब से बच्चे का वजन कम या ज्यादा होने पर हो सकती हैं स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां : डीपीओ
मुजफ्फरनगर 6 दिसंबर 2022। जिले में मंगलवार को सभी 2274 आगंनबाड़ी केंदों पर वजन दिवस का आयोजन किया गया। वजन दिवस पर बच्चों का वजन और ऊंचाई मापी गई और इसके महत्व के विषय में अभिभावकों को जानकारी दी गई। आगंनबाड़ी केंदों पर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी की निगरानी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने वजन करने के बाद कुपोषित बच्चों को पोषक आहार देने के विषय में अभिभावकों को जानकारी दी। कुपोषित बच्चों को नियमित पोषाहार खिलाने की सलाह देते हुए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) के अंतर्गत दी जाने वाली पोषाहार एवं टेक होम राशन के विषय में भी बताया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश गौड़ ने बताया बच्चों में बौनापन कुपोषण की पहचान होती है। बच्चों में उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढ़ने से बौनापन होता है। इसको ध्यान में रखने हुए वजन दिवस का आयोजन किया गया। जिले में 10783 कुपोषित बच्चे हैं। उम्र के अनुसार बच्चों का सही वजन जरूरी होता है।उन्होंने बताया - एक औसत स्वस्थ बच्चे का वजन उसकी तीन से सात वर्ष तक की आयु पर प्रति वर्ष दो किलोग्राम की दर से बढ़ता है और उसके बाद पूर्ण वयस्क होने तक प्रति वर्ष तीन किलोग्राम की दर से बढ़ता है।
उन्होंने बताया बाल विकास परियोजना अधिकारी की निगरानी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने वजन करने के बाद कुपोषित बच्चों को पोषक आहार देने के विषय में अभिभावकों को जानकारी दी। कुपोषित बच्चों को नियमित पोषाहार देने की सलाह देते हुए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा दिये जाने वाले पोषाहार के विषय में भी बताया गया। जिले के सभी ब्लाक में पंजीकृत बच्चों के वजन एवं ऊंचाई नाप कर कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों की पहचान भी की गयी। साथ ही अति कुपोषित बच्चों को जिले के पोषण पुनर्वास केंद्र में संदर्भन के विषय में भी अभिभावकों को जागरूक किया गया।जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया उम्र के हिसाब से बच्चे का वजन कम या ज्यादा है तो उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। सही वजन बच्चों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ कई बीमारियों से भी दूर रखता है। इसलिए उम्र के मुताबिक सही वजन की जानकारी होना बेहद आवश्यक है। जन्म के समय जिन बच्चों का वजन दो किलोग्राम से कम रहता है उन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसकी वजह से संक्रमण तेजी से फैलता है और कई प्रकार के रोगों से बच्चे को खतरा बना रहता है। सामान्य स्थिति में जन्म के समय ढाई किलोग्राम से लेकर साढ़े तीन किलोग्राम तक के वजन वाले बच्चों को स्वस्थ माना जाता है।
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