एनसीआरटीसी द्वारा एडीबी के साथ साझेदारी में जेएफपीआर पहल के तहत महिलाओं के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन


मेरठ।एनसीआरटीसी द्वारा हाल ही में मुरादनगर, गाजियाबाद में महिलाओं के लिए एक सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आरआरटीएस परियोजना के लिए प्रदान किए गए एडीबी ऋण के संयोजन में जापान फंड ऑफ प्रॉसपरस एंड रिज़िलिएंट एशिया एंड द पेसिफिक (जेएफपीआर) पहल के तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का विषय था 'परिवहन और गतिशीलता के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण'। 

इस कार्यक्रम मे प्रतिभागियों के रूप में इंस्टीट्यूट की छात्राएं तथा बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं शामिल थीं। एनसीआरटीसी द्वारा आरआरटीएस कॉरिडॉर में महिलाओं की सुविधाओं के लिए किए गए विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराया गया और यह बताया गया कि कैसे भारत की प्रथम रीजनल रेल सुरक्षित यात्रा के साथ-साथ बेहतर पहुंच और अधिक अवसर प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाने में मदद करेगी।

महिला यात्रियों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक आरआरटीएस ट्रेन में महिला यात्रियों के लिए एक अलग कोच का प्रावधान रखा गया है। इसके साथ ही यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्टेशनों और ट्रेनों मे सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से 24x7 निगरानी की जाएगी और ट्रेनों का संचालन एक केंद्रीकृत ऑपरेशन कंट्रोल रूम के माध्यम से किया जाएगा। साथ ही, हर आरआरटीएस स्टेशन पर संचालन से पूर्व ही प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) लगाए जाएंगे तथा ट्रेन के दरवाजे और पीएसडी दोनों बंद होने के बाद ही ट्रेनें चलाई जा सकेंगी।

साथ ही इस कार्यक्रम में महिलाओं की सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर विमर्ष करने और उनके समाधान प्रदान करने के लिए 'संकट आदि की स्थिति में उपयोगी मोबाइल ऐप्स', विशेषतौर पर सार्वजनिक परिवहन में यात्रा के दौरान सहायक ऐप्स की जानकारी प्रदान की गई। कामकाजी महिलाओं और छात्रों, विशेष रूप से वो लोग जिन्हें अक्सर वक्त-बेवक्त अकेले यात्रा करनी पड़ती है, उन्हें यह सत्र सबसे अधिक फायदेमंद लगा। इस सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम में आर्थिक सशक्तिकरण के लाभ, माइक्रोफाइनेंसिंग के अवसर और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के लाभ पर भी कुछ जानकारी प्रदान की गयी। 

प्रतिभागियों में आरआरटीएस परियोजना को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। उन्होंने क्षेत्रीय यात्रा के लिए ऐसी सुरक्षित और उच्च श्रेणी की सेवा की सुविधा सुनिश्चित कराने हेतु एनसीआरटीसी द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की सराहना की।

एनसीआर का हिस्सा होने के बावजूद परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण अक्सर इस क्षेत्र के लोग, विशेष रूप से महिलाएं व्यावसायिक, आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी अवसरों और सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं। सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं अक्सर उनके सपनों की राह में अवरोध बनकर खड़ी हो जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप न सिर्फ उनकी निजी हानि होती है बल्कि देश को भी प्रतिभा एवं संसाधनों का अत्यधिक नुकसान होता है।

180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिज़ाइन गति के साथ आरआरटीएस इस क्षेत्र में आवागमन की सुरक्षित, आरामदायक और विश्वसनीय सेवा प्रदान करने के साथ, यात्रा में लगने वाले समय को भी एक-तिहाई कम कर देगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन में मल्टी-मॉडल-इंटीग्रेशन को केंद्र में रखकर एनसीआरटीसी, जहां भी संभव है आरआरटीएस स्टेशनों को रेलवे स्टेशनों, इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी)/बस डिपो, हवाई अड्डे और मेट्रो स्टेशनों के साथ एकीकृत कर रहा है। इससे यातायात नेटवर्क के एक ऐसे नेटवर्क का निर्माण संभव हो सकेगा जो लोगों को निर्बाध आवागमन की सुविधा प्रदान करेगा।

लोगों को भारत की पहली रीजनल रेल के बारे में जागरूक करने और यह परियोजना किस तरह इस क्षेत्र की क्षमता को विस्तार देगी, इसकी जानकारी देने के लिए एनसीआरटीसी समय-समय पर इस तरह के सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। इस आयोजन का उद्देश्य लोगों को अपने निजी वाहनों की बजाए सार्वजनिक परिवहन के साधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना, विशेष तौर पर आरआरटीएस का संचालन शुरू होने के बाद, इसमें यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है।

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