उर्दू विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मुशायरा व विमोचन समारोह आयोजित

मेरठ 20/दिसंबर 2022

उर्दू भाषा को विकसित करना हम सबकी जिम्मेदारी है। अफ़सोस की बात है कि हम न तो उर्दू अखबार पढ़ते हैं और न ही उर्दू संस्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं और हमें नहीं पता कि उनकी सुरक्षा कैसे करनी है। हमारी स्थिति यह हो गई है कि जब हम तफ़सीर पढ़ने की कोशिश करते हैं तो अंग्रेजी और हिंदी का सहारा लेते हैं।  ये शब्द उर्दू विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रेमचंद सेमिनार हॉल में पूर्व मंत्री व विधायक किठौर शाहिद मंजूर व रूश्दी अंजुमन व तमकुनात तरक्की उर्दू एजुकेशनल सोसायटी किठौर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मुशायरे  में विशिष्ट अतिथि के रूप में पेश कर रहे थे. विमोचन समारोह।

कार्यक्रम की शुरुआत फारूक शेरवानी ने पवित्र कुरान पढ़कर  की। इसके पश्चात मशहूर शायर वारिस वारसी ने नात पाक पेश की। कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. असलम जमशेदपुरी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. इब्ने कंवल, डॉ. मेहर आलम खान, प्रो. शहपर रसूल, अब्दुल मजीद नजामी, नोएडा, फारूक बिजनौरी और विशिष्ट अतिथि आदिल चौधरी, मोहम्मद अमिल, राधना, हाजी अब्दुल खालिक, बहरोड़ा, करविंदर सिंह, मेरठ शामिल हुए।

जाने-माने शायर और एंकर मोईन शादाब ने संचालन के दायित्व को को बखूबी निभाया।इन दो मेहमानों के हाथों में "जसारत" (ग़ज़ालिया दीवान- असरार-उल-हक़ असरार), किठौर और किठौर की साहित्यिक पृष्ठभूमि (असरार -उल-हक असरार) "फसल-ए गुल" (शायर वारिस वारसी) पुस्तकों का  विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।

इस अवसर पर पढ़ी गई चंद पंक्तियाँ इस प्रकार हैं -

"यह किसका नगर था, वहाँ अनेक बाजार थे

लेकिन कफन के अलावा और कुछ नहीं था।" -मोईन शादाब

"जो हमें मिला, उसे कैसे मिला?

ये सभी आधी बुनाई से जुड़े होते हैं" - प्रोफेसर शाहपर रसूल

  "मुझे जलता हुआ घर लगता है

मरे हुए दिल का धुँआ मेरी आँखों को चुभता है" -डॉ. जकी तारिक

"सूरज उग आया है

लेकिन हमारा देश सो रहा है"

- नवाब बिहार संभली

"मेरी ग़ज़लों में कला नहीं है

यह सच है, अभिनय नहीं

हमने विदेश में भी जीवनदान दिया है

हमारे खून में कोई शर्म नहीं है"

- गुर चरण सिंह

  "किसी की याद का असर दिल पर ले लिया है मैंने

मैंने हज्र में रात और सुबह काटी है" - फारूक बिजनौरी 

"आप हमारे संकेतों को नहीं जानते

तुम मुझ पर विश्वास नहीं करते

अशोक ने अपना गला ऊपर कर लिया

आपने कितना शोर किया?

अपने खालीपन को भरने के लिए - अजहर इकबाल

"यश की डाली पर किसे चमकीले फल दिखाई देंगे?

आपकी खामियां सबको दिखेंगी, आपकी प्रतिभा किसने देखी?"

 - अख्तर कानपुरी

"अत्याचारियों के लिए तलवार रही है लेकिन

सच तो यह है कि हमने कभी एक चींटी को भी नहीं मारा"

- जहीरुद्दीन जहीर मेरठी

"इस जंग की किस्मत में जीत लिखी है

लड़ी गई अंतिम लड़ाई को ध्यान में रखते हुए"

- डॉ मकरम अदानी इश्क आबादी

"कभी खुद से हारे तो कभी खुशी से

समझदार भी पागलपन से हार गया

यह निश्चित है कि आप दु: ख से जीत सकते थे

  दूसरी बात यह है कि उन्होंने अपनी खुशी खो दी"

 - अभय कुमार अभय

"मैं अपनी प्यास के लिए किसके पास जाऊं?

  वे केवल उन्हीं से लड़े जिनके पास नदी थी" - विरासत

इस मौके पर अफाक अहमद खान, जीशान खान, जहांगीर, उम्मेदीन शाह सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

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