हां मैं बदल गयी हूं


हाँ मैं बदल गयी हूँ,
सबकी आँखों में खटक रही हूँ ।
क्योंकि जीना चाहती हूँ स्वछंद होकर
अब नही जीना मुझे बेड़ियों में बंधकर।
कभी सबकी हर बातों को नजर अंदाज किया करती थी,
क्योंकि मैं शांति व सुकून का दम भरती थी।
कोई फायदा नही नजर अंदाज करने का
तब भी आंखों में खटकती थी।


आज समय बदल चुका है लोग अच्छाई का फायदा उठाते हैं
कटु बाण चलाकर और भी ज्यादा दबाते हैं।
अब कहाँ बनती है नजरअंदाज करने से बात।
क्योंकि हर पल करते हैं दिल पर घात।
कोई नही समझता है दिल के जज्बात।
हाँ ....अब नही रही वो रिश्तों में बात।
अपनी गलती हो या किसी और की,
अब सत्यता को सबके समक्ष रखने में ही है समझदारी की बात।
------------
- मानसी मित्तल
शिकारपुर, बुलन्दशहर।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts