मोरबी पुल हादसाः हाईकोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी

सरकार के शपथपत्र पर जताई नाराजगी, फिर से जवाब मांगा
अहमदाबाद (एजेंसी)।
करीब डेढ़ सौ साल पुराने मोरबी केबल ब्रिज टूटने की घटना में सरकार की ओर से पेश शपथपत्र का विवरण देखकर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कई बातों को लेकर विस्तार से शपथपत्र के साथ पूरी जानकारी देने और ब्रिज की मरम्मत, सुरक्षा और देखरेख संबंधी निजी कांट्रेक्टर और मोरबी नगरपालिका के बीच हुए करार की कॉपी भी पेश करने के निर्देश दिए हैं।
मोरबी पुल हादसे में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सरकार से हादसे पर जवाब मांगा था। इस पर सरकार की ओर से मंगलवार को एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने हाई कोर्ट बेंच के समक्ष शपथपत्र पेश किया। इसमें बताया गया कि दिवाली के त्योहार के कारण पुल पर लोगों की भारी भीड़ थी। रोजाना 3165 लोग वहां आते थे, इनमें से एक समय में तीन सौ लोग मौजूद थे। सरकार की ओर से पेश इस शपथपत्र को देखकर मुख्य न्यायाधीश चौंक गए और उन्होंने इतनी गैरजवाबदारी से ब्रिज का ठेका देने पर सवाल उठाए।
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि सरकार और स्थानीय प्रशासन की मेहरबानी के तहत यह सारी चीजें होती रहीं तो भी सभी क्यों सोए रहे। हाई कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि प्रथमदृष्टया मालूम होता है कि मोरबी नगरपालिका ने कानून का पालन नहीं किया। कोर्ट ने पूछा कि राज्य सरकार ने इस केस में नगरपालिका के चीफ ऑफिसर के विरुद्ध क्या दंडात्मक कार्रवाई की और म्यूनिसिपालिटी एक्ट का उल्लंघन कर टेंडर प्रक्रिया के बिना किस तरह ठेका दिया गया।
काेर्ट ने इस संबंध में विस्तार से जवाब सहित शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। खंडपीठ ने ब्रिज की मरम्मत, सुरक्षा और देखरेख के संबंध में निजी कांट्रेक्टर और मोरबी नगरपालिका के बीच हुए करार की कॉपी भी मांगी।

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