पहिये और टायर से किया शहर का सौंदर्यीकरण 

 सरकार के मंसूबों के मद्देनजर मेरठ के प्रमुख स्थानों को संवारा जा रहा 

, मेरठ। अगर घर में वेस्ट मटेरियल रखा है तो उसे सड़क पर मत फेकें, क्योंकि यह शहर के सौंदर्यीकरण में काम आएंगे। प्रदेश को साफ, स्वच्छ और सुंदर बनाने की योगी सरकार की मुहिम पर नगर निगम ने अनोखा प्रयोग करके दिखाया है। नगर निगम ने इस प्रॉजेक्ट का बाकायदा नाम दिया है 'वेस्ट टू वंडर'। जी हां जैसा नाम, वैसा ही इस प्रोजेक्ट का काम।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सफाई की परिकल्पना को साकार करते हुए नगर निगम शहर के कई प्रमुख स्थानों का इसी वेस्ट मटेरियल से सौन्दर्यकरण कर रहा है। नगर निगम के गोदाम में पड़े रिक्शे के खराब पहियों को सड़क पर ग्रीन बेल्ट के चारों तरफ ग्रील बनाने में उपयोग किया जा रहा है। इन्हें रंगकर आकर्षक किया जा रहा है। इस कला कौशल की चहुँओर प्रशंसा हो रही है।

 टायर खराब पर सीटिंग अरेंजमेंट शानदार 

नगर निगम गोदाम में पड़े गाड़ियों के खराब टायर को भी सीटिंग अरेंजमेंट का रूप देकर इस्तेमाल कर रहा है। इनसे शहर में कई जगह सड़क किनारे बैठने की सीट से लेकर टेबल तक बनाये जा रहे। टायरों को भी सुंदर सुंदर रंग-बिरंगे कलर से पेंट किया गया है । इनको देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता की टायर भी बैठने के काम आ सकते हैं।

 गोदाम का कबाड़ भी सौंदर्यीकरण के काम आया

नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने देखा कि नगर निगम के गोदाम में बहुत कबाड़ रखा है, पर उस बेचने पर कीमत भी बहुत कम मिल रही है। शहर के सौंदर्यीकरण में भी बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ेगी, जो बाजार से बहुत महंगी मिलेगी। फिर उन्होंने इस वेस्ट मटेरियल से शहर को चमकाने की ठान ली। इससे गोदाम में पड़े कबाड़ का प्रयोग किया गया और 'वेस्ट टू वंडर' प्रोजेक्ट पर काम कर शहर को सुंदर बनाने की मुहिम शुरू हो गई।

 एमआरएफ़ फेंकें नहीं, नगर निगम को दें 

योगी सरकार के निर्देश के बाद नगर निगम लोगों से अपील कर रहा है कि अगर आपके घर में किसी भी तरह का ऐसा एमआरएफ (मटेरियल रिसाइकलेबल फेसलिटिस) हो जिसे आप फेंकना चाहते हैं तो उसे नगर निगम को दे दें , ताकि आपके घर पर कबाड़ खत्म हो जाए और सड़क पर गंदगी न फैले। बल्कि नगर निगम अब इस कबाड़ से शहर को सुन्दर बनाएगा।

 नगर निगम कबाड़ियों से करेगा सम्पर्क 

अब नगर निगम बाकायदा प्लान तैयार कर रहा है कि कबाड़ियों से संपर्क किया जाएगा कि वह जहां जाते हैं और खरीदते वक्त उन्हें लगे कि यह मटेरियल कबाड़ में नहीं बिकेगा तो वह उसे अलग से रखकर नगर निगम को दे दे। इसके एवज में उन्हें भुगतान होगा। यानी लोगों के घर का कबाड़ भी निकल गया, सड़क पर गंदगी भी नहीं फैली, कबाड़ी को मेहनताना भी मिल गया और हमारा शहर सुंदर भी हो गया।

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