राजस्थान सरकार पर एनजीटी की कार्रवाई

 पर्यावरण नियमों की अनदेखी मामले में 3,000 करोड़ का जुर्माना
नई दिल्ली (एजेंसी)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान सरकार पर पर्यावरण से खिलवाड़ करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने राज्य सरकार पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ठोस और तरल कचरे का प्रबंधन नहीं करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि पर्यावरण को लगातार हो रहे नुकसान को दूर करने के लिए जुर्माना लगाना आवश्यक हो गया है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए इस ट्रिब्यूनल को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए मानदंडों के प्रवर्तन की निगरानी करने की आवश्यकता है।
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि सीवेज प्रबंधन के संबंध में बहाली के उपायों में सीवेज ट्रीटमेंट और उपयोग प्रणाली की स्थापना, मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट सुविधाओं के उन्नयन प्रणालियों को उनकी पूरी क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करने, मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना शामिल होगा। उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में, निष्पादन योजना में आवश्यक अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और बचे हुए 161 स्थलों का ट्रीटमेंट शामिल होगा। ऐसी प्रक्रियाओं के दौरान बरामद अन्य सामग्रियों को अधिकृत डीलरों/हैंडलर/उपयोगकर्ताओं के माध्यम से उपयोग में लाया जाना है।
एनजीटी ने कहा कि पहले हुए नुकसानों की भरपाई करना होगा और भविष्य में लगातार होने वाले नुकसान को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ आदेश देने से कुछ नहीं होता है, जैसा कि पिछले आठ वर्षों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए और पांच वर्षों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए निर्धारित अवधि खत्म होने के बाद भी कोई ठोस परिणाम नहीं दिखा है। इसलिए दायित्व तय करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, एनजीटी को ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर निगरानी करना है। इसके साथ ही अन्य संबंधित मुद्दों में 351 नदी के हिस्सों का प्रदूषण, वायु गुणवत्ता के मामले में 124 गैर-प्राप्ति शहर, 100 प्रदूषित औद्योगिक क्लस्टर, अवैध रेत खनन इत्यादि शामिल हैं, जिन्हें पहले भी निपटाया जा चुका है लेकिन पहले ठोस अपशिष्ट और सीवेज प्रबंधन के दो मुद्दे सुलझाये जाने है।

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