राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में ओमैक्स लिमिटेड के खिलाफ अपार्टमेंट खरीददार को मिली जीत

नई दिल्ली। बिल्डर-बायर विवाद के एक मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ओमैक्स लिमिटेड के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें याचिकाकर्ता, मिरियम थॉमस को ब्याज सहित उनकी पूरी रकम लौटाने का आदेश दिया है। मिरियम और उनके पति द्वारा खरीदी गई इस प्रॉपर्टी को बिल्डर द्वारा 3 साल से ज्यादा समय तक लंबित कर दिया गया था।

बिल्डर से धोखा खाने के बाद मिरियम और उनके पति ने बिना किसी कानूनी मदद के अपना केस खुद लड़ने का फैसला किया। राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में दी गई अपनी अर्जी में उन्होंने बिल्डर पर आरोप लगाया कि उन्होंने ने बहादुरगढ़ में बिल्डर की प्रॉपर्टी में साल 2013 में एक फ्लैट खरीदा था, जिसका पज़ेशन एग्रीमेंट के अनुसार 22 अक्टूबर, 2014 तक दिया जाना था। बिल्डर पक्ष ने यह कहकर याचिकाकर्ता का विरोध किया था कि उन्होंने 29.09.2016 को ऑक्युपैंसी सर्टिफिकेट के लिए आवेदन दे दिया था और 15.02.2017 को उन्हें आंशिक ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट मिल गया था। बिल्डर ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने निवेश के लिए फ्लैट खरीदा था, इसलिए वो ‘उपभोक्ता’ की परिभाषा में नहीं आते। इसलिए याचिकाकर्ता की शिकायत खारिज होनी चाहिए। हालाँकि सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बिल्डर के तर्कों को निराधार मानते हुए बिल्डर को संपूर्ण राशि याचिकाकर्ता को 6 प्रतिशत ब्याज दर के साथ लौटाए जाने और मानसिक प्रताड़ना के एवज़ में उन्हें 250,000 रु. तथा कानूनी खर्चों के लिए 50,000 रु. की राशि दिए जाने का आदेश दिया।

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