यूपी के मिडवाइफरी ट्रेनिंग सेंटर में अन्य प्रदेश की नर्स ले रहीं ट्रेनिंग  

4 प्रदेशों की 23 नर्स ले रही है स्टेट मिडवाइफरी की ट्रेनिंग 

 तीन इंटरनेशनल और 5 नेशनल मिडवाइफरी एजुकेटर दे रही है प्रशिक्षण 


मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए काफी संजीदा हैं। इसी का नतीजा है कि नेशनल मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट समय से पहले ही ट्रेनिंग सेंटर चल रहा है। यहां पर 4 प्रदेशों की 23 नर्स स्टेट मिडवाइफरी की ट्रेनिंग ले रही हैं। उन्हे यह ट्रेनिंग तीन इंटरनेशनल और 5 नेशनल मिडवाइफरी एजुकेटर दे रही हैं। 

हर जिले के सीएचसी और पीएचसी पर तैनात होंगी मिडवाइफ 

नेशनल मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश राणा ने बताया कि मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में बने नेशनल मिडवाइफरी ट्रेनिंग सेंटर में तीन इंटरनेशनल मिडवाइफरी एजुकेटर जबकि 5 नेशनल मिडवाइफरी एजुकेटर एमएससी नर्सिंग की 23 नर्सों को ट्रेनिंग दे रही हैं। चार राज्यों सिक्किम, उड़ीसा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से चयनित होकर आई ये एमएससी नर्स 18 महीने की ट्रेनिंग ले रही हैं। यहां प्रशिक्षण लेने के बाद ये स्टेट मिडवाइफरी एजुकेटर्स अलग-अलग राज्यों में जाकर एमएससी और बीएससी नर्सिंग छात्राओं को इस कोर्स का प्रशिक्षण देंगी ताकि हर जिले के सीएचसी और पीएचसी पर मिडवाइफ तैनात की जाए। मेरठ में बने इस नेशनल मिडवाइफरी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में 30 सीट थी, लेकिन काबिलियत के आधार पर केवल 23 नर्सों का मिडवाइफरी एजुकेटर की ट्रेनिंग लेने के लिए चयन हुआ है। 

गर्भावस्था में व्यायाम करना बहुत जरूरी 

जिला महिला चिकित्सालय में प्रैक्टिस कर रही नेशनल मिडवाइफरी एजुकेटर रेणुका का कहना है कि भारत में नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन का अनुपात 60 और 40 का है जिसे कम करने के लिए सरकार ने इस योजना को अपनाया है। उन्होंने कहा है कि गर्भवती महिला के गर्भधारण से लेकर 9 महीने तक उसकी काउंसिलिंग एक्सरसाइज के साथ-साथ उसका पूरा ख्याल भी रखा जाता है। महिला को बताया जाता है कि उनको इन दिनों में किस तरह की सावधानियां बरतनी है और किस किस तरह का व्यायाम करना है ताकि उनको नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार किया जा सके। 

नॉर्मल डिलीवरी के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कर रही हैं तैयार 

डॉक्टर रेणुका के मुताबिक अमूमन देखने में आता है कि जब महिला गर्भधारण करती हैं उसके बाद से ही वह अपने आप को बीमार समझ कर घर का सारा काम काज छोड़ देती हैं जिसकी वजह से उनकी जीवन में चलने वाला प्रतिदिन का व्यायाम बंद हो जाता है और इसी वजह से डिलीवरी के समय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिस वजह से आखिर में डॉक्टर की मजबूरी बन जाती है ऑपरेशन करना, लेकिन अब इसी ऑपरेशन से बचाने के लिए इन महिलाओं को पहले से ही शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया जा रहा है ताकि अब महिलाओं की डिलीवरी बिना ऑपरेशन के आसानी से की जा सके। इससे बच्चा और माता दोनों ही सुरक्षित रहेंगे।

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