पशुओं के लिए बने कारगर नीति

भारत में पशुपालन गांव के लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा है और पशुधन से भावनात्मक लगाव रहता है। इन दिनों लंपी वायरस का ्टैक तेज हैं। लंपी की चपेट में देश के करीब 12 राज्यों में एक लाख 20 हजार पशुधन संक्रमित हैं और 57,000 पशुधन काल ग्रसित हो चुके हैं। इसमें अधिकतर गाय और गोवंश हैं। राजस्थान में इस बीमारी से करीब तीस हजार पशुधन की मृत्यु चिंता का विषय है। इसलिए राज्य सरकार को अविलंब कारगर कदम उठाने चाहिए। अगर इस तरह से पशुधन अकाल मृत्यु होती है तो ग्रामीण इलाकों के निर्धन परिवारों की कमर टूट जाएगी। पशुधन से ही खेती-बाड़ी का काम और दूध का उत्पादन जीविका का एकमात्र जरिया है। पशुधन की अकाल मृत्यु भूमिहीन किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए भारी क्षति है, जिस पर सरकार को अविलंब काम करना होगा। सभी राज्य सरकारों को इस संदर्भ में मुआवजा नीति अपनाकर ऐसे परिवारों को आर्थिक सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए। केंद्र सरकार के द्वारा इस संक्रमण को रोकने के लिए टीका के प्रयोग की सलाह दी जा रही है, जिस पर राज्य सरकार को निशुल्क टीका उपलब्ध कराने की योजना बनानी चाहिए। एक जानकारी के अनुसार इस बीमारी के कारण पंजाब में लगभग बीस फीसद दुग्ध उत्पादन घट गया है। अगर उत्तर भारत के राज्यों में इस तरह से दुग्ध उत्पादन घटेगा तो निश्चित रूप से देशभर में दूध का एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा। साल 2019 में पहली बार भारत में इस वायरस की दस्तक हुई थी, यह त्वचा का एक रोग है, जिसमें स्किन में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं. इसे एलएसडीवी कहते हैं। यह एक जानवर से दूसरे में फैलता है। यह कैप्रीपॉक्स वायरस के कारण ही फैलता है। जानकारी कहती है कि यह बीमारी मच्छर के काटने से जानवरों में फैलती है। लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना,लार बहना,शरीर पर दाने निकलना,दूध कम देना और भूख नहीं लगाना है। बहरहाल इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने की दरकार है।

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