ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ का निधन

स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में क्वीन ने ली अंतिम सांस, शाही परिवार भी पहुंचा

बकिंघम ,एंजेसी । ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरूवार रात को भारतीय समय के अनुसार स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन पर पूरे विश्व में शोक छा गये। बकिंघम पैलेस ने क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के निधन की घोषणा कर दी है। एलिजाबेथ ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक रही मोनार्क हैं। एलिजाबेथ का निधन आज दोपहर बालमोराल में हुआ। वो 96 साल की थीं। वो सत्तर साल तक ब्रिटेन की सम्राट रहीं। उनके निधन पर ब्रिटेन में राष्टï्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है। 

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में अंतिम सांस ली। महारानी के परिवार के लोग बाल्मोरल कासल पहुंच रहे हैं। बीबीसी के अनुसार प्रिंस विलियमए एंर्ड्यू और एडवर्ड स्कॉटलैंड के एबरडीन एयरपोर्ट पर उतर कर बाल्मोरल कासल की ओर निकल गए हैं। साथ में ड्यूक ऑफ कैंब्रीज, ड्यूक ऑफ यॉर्क भी हैं।ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भी इस खबर पर चिंता जताई है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा. बकिंघम पैलेस की खबर से पूरा देश चिंतित होगा।लंदन के बकिंघम पैलेस में होने वाली गार्ड चेंजिंग को रद्द कर दिया गया है। सेरेमनी के दौरान जहां पर यात्री जुटते हैं ठीक उसी जगह पर एक बोर्ड लगा दिया गया है। इससे पहले महारानी की प्रीवी कॉउंसिल यानी गुप्त जानकारी के संबंधित मंत्रीपरिषद की वर्चुअल मीटिंग भी रद्द कर दी गई थी।

70 साल तक राजशाही को संभाले रखीं एलिजाबेथ

क्वीन एलिजाबेथ 2 जून 1953 को ब्रिटेन की महारानी के पद पर आसीन हुईं थीं। जब एलिजाबेथ क्वीन बनीं तब दुनिया ही नहीं ब्रिटेन में भी राजशाही पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन महारानी एलिजाबेथ ने तमाम विरोध के बावजूद शाही परिवार के रुतबे और असर को बरकरार रखा।

दरअसल क्वीन एलिजाबेथ के करीब सत्तर साल के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में भारी बदलाव हुए। इस दौरान ब्रिटेन ने सिर्फ आर्थिक चुनौतियों का ही नहीं बल्कि राजनीतिक संकटों का भी सामना किया।उतार.चढ़ाव के दौर में ब्रिटेन की महारानी अपने देश की जनता के लिए भरोसे का प्रतीक बनीं रहीं।

एलिजाबेथ का जन्म 21 अप्रैल 1926 को लंदन में हुआ था। उनके पिता अल्बर्ट ड्यूक ऑफ यॉर्क और उनकी मां एलिजाबेथ बोवेस.लियोन थीं। एलिजाबेथ कभी स्कूल नहीं गईं थीं। उनकी पढ़ाई घर पर ही हुई। उन्होंने कई भाषाएं सीखीं। एलिजाबेथ 21 अप्रैल 1926 को बर्कले में पैदा हुईं थीं। एलिजाबेथ के पिता ड्यूक ऑफ आर्क अल्बर्ट उस दौर के ब्रितानी राजा जार्च पंचम के दूसरे नंबर के बेटे थे। एलिजाबेथ अपने पिता की बड़ी बेटी थीं। उस दौर में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एलिजाबेथ महारानी बनेंगी।

कैसे बनीं महारानी

ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम की 1936 में मौत हुई थी। उनकी मौत के बाद शाही गद्दी पर उनके बड़े बेटे डेविड बैठे थे। उन्होंने अपना शाही नाम एडवर्ड अष्टम रखा था।लेकिन अपने प्रेम प्रसंग के कारण एडवर्ड अष्टम को गद्दी छोड़नी पड़ी। एडवर्ड ने एक तलाकशुदा अमेरिकी महिला से शादी की थी जिसकी वजह से उनका भारी विरोध हुआ।एडवर्ड के पात हिचकते हुए एलिजाबेथ के पिता अल्बर्ट राजगद्दी पर बैठे और इस तरह एलिजाबेथ के महारानी बनने का रास्ता भी तैयार हुआ।

जीवनसाथी से मुलाकात

ये वो दौर था जब हिटलर की ताकत बढ़ रही थी और अल्बर्ट देश का दौरा करके लोगों का राजशाही में भरोसा मजबूत कर रहे थे। एलिजाबेथ भी परिवार के साथ दौरे कर रहीं थीं। वो सिर्फ तेरह साल की थीं जब उनकी मुलाकात अपने भविष्य के पति फिलिप से हुई। फिलिप ग्रीस के राजकुमार थे।फिलिप और एलिजाबेथ की कई मुलाकातें हुईं और 1944 में दोनों प्यार में पड़ गए थे। एलिजाबेथ की फिलिप से नजदीकी किसी से छुपी नहीं थी। 1948 में एलिजाबेथ को पहली औलाद प्रिंस चार्ल्स के रूप में मिली। दो साल बाद उनकी बेटी एना का जन्म हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महारानी एलिजाबेथ के निधन पर दुख जताया है। 

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