भारत की आजादी और अमृत महोत्सव

- प्रमेशदीप मानिकपुरी
भारत के स्वाभिमान और आन बान की कहानी है भारत की आजादी।
भारत देश को अंग्रेजों के चंगुल मे लगभग 200 वर्षा तक रहना पडा। हमारे देश कोे गुलामी की दासता से मुक्त होने में सैकड़ो वर्ष लगे इस आजादी के लिये लंबी संघर्ष करनी पड़ी। गुलामी की इस दासता से मुक्त होने में हमारे देश विभिन्न प्रांतों के लोग एक जुट होकर अंग्रेजों के  खिलाफ एक मुहिम छेड़ दिये, जिसमे कुछ गरम दल के लोग तो कुछ नरम दल के लोग शामिल रहे। सब मिल कर आजादी के संघर्ष मे डटे रहे फिर धीरे धीरे यही चिंगारी देश मे फैलती गई और लोग जुड़ते गये दूसरे तरफ देखे तो कुछ युवा लोग अपने जान की परवाह ना करते हुये सीधे तौर पर अंग्रेजों के खिलाफ जंग के मैदान मे उतर आये जिन्हे हम क्रांतिकारियों के रूप से जानते हैं। मंगल पांडेय, राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह, अशफाकउल्लाह खान, सुभाष चंद बोस और चंद्रशेखर आजाद आदि का नाम क्रांतिकारियों मे प्रथम पंक्ति में आता है।
आजादी के इस महासमर में देश के कई लोगों ने अपनी आहुति दी। इसी आजादी के आंदोलन के प्रणेता के रूप उभर कर आये जिन्होंने बाद में इस आज़ादी के पूरे मुहिम नेतृत्व किया वो थे महात्मा गाँधी, जिन्होंने आजादी के आंदोलन को नया रुख दिया और का सत्य अहिंसा के बल पर देश को आजाद कराने के लिए अपनी जिंदगी झोक दी। उन्हें हम भारत के स्वपन दृष्टा के रूप में जानते हैं। आजादी के बाद इन्हे हम राष्ट्रपिता के रूप मे जानते हैं।



चलो वतन के लिए एक नई इबारत लिखते हैं।
कुर्बा हुये वतन पर उनकी शहादत लिखते हैं।।
बहा दी खून अपना जिसने देश हित के लिए।
उन शहीदों की चलो आज कुर्बानी लिखते हैं।।
आज आजादी की 75 वर्षगांठ को आजादी का अमृत उत्सव के रूप मनाये जाने की तैयारी पुरे जोरशोर से देश मे चल रहा है। आज देश की आजादी को 75 वर्ष हो चुके हैं। इस अवसर पर पूरे देश में आजादी का अमृत उत्सव के नाम से आजादी का पर्व विशेष रूप से मनाया जा रहा है, जिसके तहत देश के सभी घरों में तिंरगा फहारने और देश के प्रति सम्मान प्रगट करने का अवसर प्राप्त होगा। इसके लिए तिंरगा फहराने व उतारने संबंधी क़ानून मे कुछ आंशिक संशोधन किया गया ताकि जन सामान्य को झंडा फहराने मे आसानी हो। इस तरह आजादी के इस अमृत उत्सव के तहत 13 अगस्त से 15 अगस्त तक देश के हर घर में तिंरगा फहरया जाना है और इस देश और तिरगे के प्रति सम्मान प्रगट करना है।
तीन रंग से सजा हुआ भारत की आन है।
लहर लहर लहराता ये भारत की शान है।।
देश के जन गण मन का अभिमान तिरंगा।
फहरेगा अब घर घर तिरंगा, हर घर तिरंगा।।
भारत की आजादी उसकी अस्मिता और स्वाभिमान का प्रतीक है तिंरगा। जैसे किसी देश की मान सम्मान और शान का प्रतीक उस देश का झंडा होता है ठीक उसी प्रकार हमारे भारत देश की आन बान शान का प्रतीक है। हमारा तिंरगा झंडा तीन रंगों से बना यहां झंडा देश में शान्ति, हरियाली और त्याग का प्रतीक है। झंडे में स्थित अशोक चक्र हमारे समृद्ध भारत की आन का प्रतीक है। इसके शानो शौकत बनाये रखने हेतु हमें अपनी पुरजोर कोशिश करनी चाहिए।
आजादी का पर्व प्रति वर्ष मानते आ रहे हैं केवल एक दिन आजादी का पर्व मना लेना पर्याप्त नहीं है वरन हम सभी भारतवासियों की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम सब मिल कर इसे अक्षुण रखें। साथ ही देश के विकास और निर्माण में अपना योगदान दें ना कि केवल यह सोचते रहें कि यह तो बड़े लोगों का काम है हम क्या कर सकते हैं। ऐसी सोच रख कर हम अपने आप को दूर कर लेते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि यदि देश को विकास की दिशा में ले जाना है तो निश्चित ही इसमें भागीदारी सबको निभानी होगी।
चूंकि भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है तो सविधान से प्राप्त मौलिक अधिकारों के दम पर देश को सही दिशा देने वाले सरकार की चयन की भी जिम्मेदारी है, जिसे बखूबी निभाने की आवश्यकता है ताकि विश्व पटल पर भारत का सर सदा ऊंचा रहे और देश सतत तरक्की की ओर अग्रसर रह सके।
दो सौ वर्षो की गुलामी से मुक्त होने के लिए सैकड़ो वर्षो की जददोजहद का परिणाम है भारत की आजादी। आजादी अस्मिता एवं महानता को कायम रखने तथा देश को विकास की दिशा मे आगे बढ़ा कर विश्व पटल पर भारत का सम्मान बढ़ाना होगा। आज आजादी के पर्व पर संकल्प लें कि देश के स्वाभिमान उसकी एकता अखंडता को कायम रखने तथा देश हित में सभी दायित्व और कर्तव्यों को निभाएंगे।
एक दीप मोहब्बत की आओ जलायें हम।
भटके हुये राही को नव पथ दिखायें हम।।
(आमाचानी धमतरी छग)

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