अच्छी कविता मनुष्य में जिजीविषा पैदा करती है: कुमार वीरेंद्र

प्रयागराज (अवनीश यादव)।
गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर  इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन केन्द्र में अयोध्या शोध संस्थान के सहयोग से ' तुलसी के राम' विषय पर संगोष्ठी  आयोजित की गयी। मुख्य वक्ता आलोचक कुमार वीरेंद्र ने कहा कि तुलसी ने परंपरा और अपनी आखों - देखी चीजों को काव्य का विषय बनाया। उन्होंने अपनी बात कहने के लिए जनता की भाषा अवधी का चुनाव किया।
उन्होंने कहा कि तुलसी के राम में जनजुड़ाव की गंभीरता  है। तुलसीदास ने वैसे तो सगुण राम को अपना आराध्य बनाया लेकिन दोहावली में उन्होंने निर्गुण और सगुण दोनों को अच्छा बताया और व्यावहारिक उदाहरण देते हुए लिखा कि अंक में लिखा हुआ निर्गुण और अक्षर में लिखा हुआ सगुण है।
उन्होंने कहा कि रामचरित मानस एक ऐसा काव्य ग्रंथ है जो मनुष्य को स्वतंत्र करता है। अच्छी कविता मनुष्य में जिजीविषा पैदा करती है, तुलसी की कविताएं इस कसौटी पर खरी उतरती हैं। तुलसी जिस राम को आराध्य मानते हैं, उनको प्रश्नांकित भी करते हैं। तुलसी के राम सहज हैं और तुलसी की कविता अत्यधिक सहज । इसीलिए तुलसी की कविताएं संप्रेषित पहले हो जाती हैं, समझ बाद में आती हैं यानी समझ में आने से पहले ही संप्रेषित हो जाती हैं।
विशिष्ट वक्ता के रूप में जगत तारन गर्ल्स कॉलेज की डॉ रतन कुमारी वर्मा ने तुलसी को महान कवि और राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताया।आकाशवाणी और दूरदर्शन के निदेशक डॉ. लोकेश कुमार शुक्ल ने  अध्यक्षीय वक्तव्य के क्रम में तुलसीकृत विनय पत्रिका के चुनिंदा अंशों का संगीतमय पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संचालन और आभार ज्ञापन संयोजक धनंजय चोपड़ा ने किया। इस अवसर पर एसके यादव, डॉ. दीनानाथ मौर्य, डॉ. अनिल कुमार सिंह, अवनीश यादव, परमेश्वर राज, शुभम कुमार, सौरभ कुमार, प्रकाश कुमार, प्रदीप कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, डॉ. अनिल  कुमार यादव, अभिषेक पांडेय सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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