शाहीन और मंजू ने दी टीबी को मात, बनी टीबी चैंपियन

ग्रामीण समाज विकास केंद्र की मेहनत रंग लाई, दो मरीजों ने टीबी से मुक्ति पाई

मेरठ,29 जुलाई 2022।टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, बशर्ते इसका समय से उपचार शुरू कर दिया जाए। इसमें लापरवाही की तो यह गंभीर रूप धारण कर सकती है। टीबी को मात देकर अब टीबी चैंपियन दूसरों को टीबी से उबारने में मदद कर रही हैं। वह लोगों को बीमारी से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें जागरूक करने का काम कर रही हैं।
मरीजों को बता रहीं रोग से मुक्ति का उपाय
ब्लॉक रजपुरा निवासी शाहीन को क्षय रोग विभाग ने टीबी चैंपियन बनाया है। शाहीन के मुताबिक एक साल पहले 21 फरवरी 2021 कोउन्हें पता चला कि उन्हें टीबी हो गई है। वह घबरा रही थीं, अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर और उनकी टीम ने इलाज शुरू किया। लेकिन उन्हें कोई आराम नहीं मिला, शाहीन कहती हैं कि वह पूरी तरह टूट गई थी, जब उन्हें पता चला कि उन्हें टीबी है।उन्हें लगा कि जिंदगी खत्म हो गई है यकीन ही नहीं हुआ कि उन्हें टीबी हो सकती है। लेकिन उसी दौरान उनकी पहचान सामाजिक संस्था ग्रामीण समाज विकास केंद्र के मोबिलाइजर राहुल से हुई। राहुल ने उन्हें सरकारी स्तर पर इलाज के बारे में अवगत कराया। ग्रामीण समाज विकास केंद्र रजपुरा ब्लॉक में टीबी को लेकर काम कर रहा है। इसी  दौरान   घर-घर सर्वे करते हुए मोबिलाइजर शाहीन के घर पहुंचे। शाहीन ने उन्हें बताया कि वह हड्डी की टीबी से ग्रसित हैं।  राहुल ने उन्हें पीएचसी पर जांच के लिए भेजा और निशुल्क जांच के साथ दवा भी दिलवाई। शाहीन कहती हैं कि संस्था के मोबिलाइजर राहुल और सचिव मेहर चंद ने उन्हें मोटिवेट किया और जागरूकता लाने के साथ ही उनके साहस को बढ़ाने का काम किया। जिसके कारण लगातार एक साल इलाज के बाद शाहीन ने टीबी को मात दी और विभाग ने उन्हें टीबी चैंपियन बनाया। इस दौरान उन्हें प्रति माह ग्रामीण समाज विकास केंद्र की ओर से पोषण सामग्री भी दी गई। अब शाहीन अपने आस-पास यदि कोई टीबी मरीज मिलता है तो उसे टीबी से मुक्ति के उपाय बताती हैं, उनका कहना है कि चिकित्सक के बताए अनुसार दवा का नियमित रूप से सेवन करें। यह जरूर ख्याल रखें कि दवा को बीच में छोड़ना नहीं है, नहीं तो टीबी गंभीर रूप ले सकती है। ऐसी स्थिति में इलाज लंबा चल सकता है। लेकिन टीबी को जड़ से खत्म किया जा सकता है।



टीबी से मुक्ति पाकर समाजसेविका बनीं मंजू
मंजू उम्र 45 वर्ष को भी क्षय रोग विभाग ने टीबी चैंपियन बनाया है। मंजू टीबी से मुक्त होकर अब समाज सेवा का काम कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्होंने टीबी के बारे में पता लगने के बाद भी हार नहीं मानी, और ग्रामीण समाज विकास केंद्र के कोऑर्डिनेटर अमित ने उन्हें लगातार मोटिवेट करने का काम किया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) रजपुरा में छह माह इलाज चलने के बाद वह अब पूरी तरह से ठीक हो गई हैं और अपने परिवार में हंसी खुशी से जीवन यापन कर रही है। मंजू कहती हैं कि किसी भी परिस्थिति में इलाज बीच में न छोड़ें, तभी टीबी से मुक्ति पाई जा सकती है।

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