शिक्षा और सशक्तिकरण के बूते मुस्लिम समुदाय स्थापित की विशिष्ट पहचान

 मेरठ। हापुड़ रोड स्थित मदरसा इमान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुस्लिम साक्षरता दर और महिला  सशक्तिकरण पर मुस्लिम वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस दौरान मौलाना तौफीक ने कहा कि मुस्लिम समुदाय भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। मुस्लिम महिलाएं अल्पसंख्यक समुदाय के भीतर साक्षरता दर, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाएं तक पहुंच आदि में उनके पुरुष समकक्ष के तुलना में अल्पसंख्यक हैं। वैश्वीकरण के आगमन के साथ, मुस्लिम समुदाय अब अन्य हाशिए वाले समुदायों की तरह अलग-थलग नहीं रह गया है। इसने बड़े पैमाने पर अन्य समुदायों के साथ बातचीत की है और एक समुदाय के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित किया है। इसी के साथ मुस्लिम समुदाय को वित्तीय क्षमताओं, सामाजिक मान्यता और साक्षरता स्तर के मामले में मजबूत होने में मदद की है। उन्होंने कहा कि इसने न केवल उच्च शिक्षा के अवसर खोले हैं, बल्कि मुस्लिम समुदाय, विशेषकर मुस्लिम महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर और स्वास्थ्य सुविधाएं तक पहुंच आसान करवाई है।

महिला वक्ता शाहीन ने कहा कि महिला सशक्तिकरण चाहे वे किसी भी धर्म के हो। प्रजनन दर में कमी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले एनएफएचएस सर्वेक्षण से पता चला है कि मुस्लिम महिलाओं और हिंदू महिलाओं में प्रजनन दर का अंतर कम हो गया है। यह मुस्लिम महिलाओं में साक्षरता और रोजगार में वृद्धि के परिणामस्वरूप हुआ है। मुस्लिम समुदाय धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा के प्रति ग्रहणशील हो गया है।

वहीं भोपाल से आए कारी मौलाना सुल्तान ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आधुनिक शिक्षा ने मुस्लिम समुदाय के पुरुषों और महिलाओं दोनों को आर्थिक और सामाजिक कल्याण के संबंध में बेहतर निर्णय लेने का अधिकार दिया।  इसके अलावा, महिलाओं के लिए रोजगार के कई अवसर खोले, उन्हें आर्थिक रूप से सुरक्षित किया।  इन परिवर्तनों ने मुस्लिम महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक और शिक्षित भी किया है।

इन मुस्लिम महिलाओं ने किया देश का नाम रोशन :

अधिवक्ता शाहीन परवेज ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज देश में अल्पसंख्यकों के भीतर, यानी मुस्लिम महिलाओं के बीच समग्र विकास देखा जा रहा है। इस संबध में और अधिक काम करने की आवश्यकता है।  मेरठ की शुबुही युसुफजई खान (सुप्रीम कोर्ट की वकील),  संभल की नगमा खान  (सिविल जज (सीनियर डिवीजन, बदायूं), सहारनपुर की  शहजाद खान (वकील) आदि महिलाएं ने आर्थिक क्षेत्र में अपनी सक्षमता का परिचय दिया है। हालांकि मुस्लिम महिलाएं अन्य समुदायों की तुलना में रोजगार में सबसे कम भागीदारी करती हैं।  यह साक्षरता के लिए भी है।  हालांकि साक्षरता दर में वृद्धि हुई है, फिर भी इसमें उल्लेखनीय सुधार की आवश्यकता है।  किसी भी समुदाय के उत्थान के लिए साक्षरता और शिक्षा सशक्तिकरण के प्रमुख तत्व हैं। कार्यक्रम में आए सभी वक्ताओं ने शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया।

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