हाई स्पीड से दौड़ रही रैपिड रेल के लिए अलग से जारी किया जाएगा टेलीकॉम स्पेक्ट्रम

मेरठ। देश की पहली रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के लिए अलग से टेलीकॉम स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) इसका उपयोग दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के टेलीकॉम नेटवर्क में करेगा।
रैपिड रेल की गति 160 किमी प्रति घंटा रहने के चलते इसे बिना किसी बाधा वाले टेलीकॉम नेटवर्क की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में केंद्र सरकार उसे बीएसएनएल या किसी प्राइवेट टेलीकाम कंपनी के टेलीकॉम नेटवर्क से नहीं जोड़ेगी बल्कि अलग से स्पेक्ट्रम आवंटित करेगी।  मेट्रो सेवा और भारतीय रेल के लिए भी अलग से स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाता है।
इस कॉरिडोर के लिए 700 मेगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए एनसीआरटीसी की ओर से टेलीकॉम रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राइ) से बातचीत और अन्य संबंधित प्रक्रिया जारी है। रैपिड रेल कॉरिडोर के टेलीकॉम नेटवर्क के लिए एनसीआरटीसी टावर लगाने और केबल बिछाने समेत अन्य काम करेगी। इस नेटवर्क का उपयोग प्रमुख रूप से रेल संचालन में जुटे स्टाफ जैसे-ड्राइवर, नियंत्रण कक्ष के कर्मचारी, अधिकारी करेंगे। इसके लिए टावर भी खुद के होंगे। इसके उपयोग से आवश्यक संदेशों का आदान-प्रदान अपेक्षाकृत काफी तेजी से और बिना बाधा के होगा।
रेडियो तरंगों की श्रृंखला को स्पेक्ट्रम कहा जाता है। स्पेक्ट्रम के जरिये ही किसी संदेश को वायरलेस माध्यम तक पहुंचाया जाता है। चूंकि, फ्रीक्वेंसी में तरंगें बड़ी संख्या में और लहर के रूप में होती हैं, इसलिए इनका दोहराव होता रहता है। इसके चलते संदेश पहुंचने में बाधा आती है। इस तकनीकी पहलू को ध्यान में रखकर ही स्पेक्ट्रम को बैंड में बांटा जाता है। आवश्यकता को देखते हुए इसके बैंड का बंटवारा अलग-अलग रूप में किया जाता है।  यथा-700 मेगाहर्ट्ज, 800 से 2300 मेगाहर्ट्ज आदि।

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