6 माह के प्रीमैच्योर बेबी को चिकित्सकों ने दिया जीवन दान

 तीन माह तक  अस्पताल में रहने पर चिकित्सकों को आंत व आंख की करनी पडी सर्जरी

चिकित्सकों के प्रयास से मॉ की भरी झोली

मेरठ। प्रीमैचयोर बेबी को बचाना एक कठिन काम है लेकिन इस कहावत को न्यूटिमा के चिकित्सकों ने साबित कर दिखाया है कि किस प्रकार प्रीमैच्योर बेबी को कैसे बचाया जा सकता है।

 न्यूट्रिमा हॉस्पिटल में मीडिया को जानकारी देते हुए चिकित्सक डा अमित उपाध्याय, डा संदीप गर्ग, डा. प्रयांक गर्ग व व डा गरिमा ने संयुक्त  रूप से बताया शास्त्री नगर निवासी अखिलेश तिवारी की पत्नि बबीता ने १८ मार्च को प्रीमैच्योर बेबी को आनंद हॉस्पिटल में जन्म दिया था। जो ६ माह से कम समय में जन्मा था। बच्चे का वजन ५०० गा्रम होने के पर नवजात को सांस न आने पर न्यूटिमा हॅस्पिटल में भती कराया गया था। परिजनों को नवजात के बचने की कम आस थी। अस्पताल के चिकित्सकों ने नवजात को बचाने के लिये उसकी आत व आंखा की सर्जरी की। जिसके बाद अब बच्चा पूरी तरह ठीक हो गया है। डा अमित उपाध्याय व डा प्रियांक गर्ग ने बताया बबीता को लंबे समय बाद बच्चा हुआ था। इस लिए उसे प्रीमैच्योर डिलीवरी होने पर चिंता सता रही थी।



 मीडिया से बात करते हुए बतीता ने इसके लिए चिकित्सकों को आभार प्रकट किया। उसने बताया उसने तो उम्मीद छोड दी थी लेकिन चिकित्सकों के  प्रयास से यह सब कुछ संभव हो पाया।

 डॉ अमित उपाध्याय व डा संदीप गर्ग ने बताया के इस प्रकार के केस में बच्चे के बचने की उम्मीद कम ही होती है। अगर डिलीवरी के तुरंत बाद अस्पताल नवजात को लाया जाय तो नवजात के जीवन को बचाया जा सकता है।

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