‘शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान’ पर आयोजित हुई पोषण पाठशाला

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लखनऊ में बैठे विशेषज्ञों ने बतायी स्तनपान की महत्ता

अपराह्न 12 से दो बजे तक एनआईसी के अलावा जनपद के 1959 केंद्रों पर हुआ आयोजन

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा और मुख्य सेविका के साथ गर्भवती-धात्री महिलाओं के साथ अभिभावक रहे मौजूद

मेरठ,
26 मई, 2022। जिला स्तर पर एनआईसी के साथ ही जनपद के सभी 1959 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। पोषण पाठशाला में पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपाय और पोषण शिक्षा पर विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी। विशेषज्ञ पैनल की बात जिला स्तर पर सीएमओ, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, डीपीओ सीडीपीओ और सुपरवाइजर्स ने सुनी तथा सभी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्तााओं ने अपने स्मार्ट मोबाइल के जरिए विशेषज्ञ राय लाभार्थियों को सुनवाई। बृहस्पतिवार को अपराह्न 12 से दोपहर दो बजे  तक चली पोषण पाठशाला की थीम शीघ्र स्तनपान- केवल स्तनपान रही। लखनऊ में बैठे विशेषज्ञों डा. आरएमएलआईएमएस लोहिया अस्पताल लखनऊ में सामुदायिक चिकित्सा विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीष कुमार सिंह, वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल डफरिन लखनऊ के वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग डा. मो. सलमान खान, आईएचएटी.यूपीटीएसयू लखनऊ की निदेशक डा. रेनू श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पोषण पाठशाला में  स्तनपान की महत्ता बताई।



पोषण पाठशाला में महिलाओं को अपने नवजात को स्तनपान कराने की जरूरतों और इससे बच्चों के शारीरिक तथा मानसिक विकास के सकारात्मक परिणामों के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि जन्म के तुरंत बाद मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध शिशु के लिए टीके के समान होता है, जो शिशु की बीमारियों से रक्षा के लिए कुदरत ने मां को दिया है। पोषण पाठशाला के दौरान जिला स्तर पर एनआईसी के साथ ही शासन स्तर से निर्धारित वेब लिंक के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा और मुख्य सेविका के साथ-साथ स्थानीय गर्भवती  और धात्री महिलाएं भी मौजूद रहीं। जिला कार्यक्रम अधिकारी विनीत कुमार सिंह  ने बताया जनपद  के अंतर्गत विभिन्न ग्राम सभाओं में संचालित 1959 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शासन स्तर से निर्धारित वेब लिंक के माध्यम पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया, जिनमें लगभग 3519 महिलाओं को उनके नवजात के लिए स्तनपान की जरूरतों के बारे में जागरूक किया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया विशेषज्ञों द्वारा महिलाओं की विभिन्न समस्याओं और शंकाओं का समाधान भी कराया गया। पोषण पाठशाला में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गई कि मॉ के दूध में सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में और सही अनुपात में पाये जाते हैं। जिससे केवल पोषण नहीं बल्कि विभिन्न हार्मोन, जीवाणु, जो बच्चे के सम्पूर्ण विकास के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में सक्षम हैं, मां के दूध में होते हैं। हमें सुनिश्चित करना है कि बच्चों के प्रारम्भिक छह माह में बच्चे को केवल स्तनपान कराया जाए, उसे पानी देने की भी जरूरत नहीं होती। छह माह के बाद ही शिशु को ऊपरी आहार की जरूरत होती है। इसलिए छह माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों का ही अन्नप्राशन कराया जाता है।
पोषण पाठशाला में विशेषज्ञों ने बताया- शीघ्र स्तनपान और छह माह तक केवल स्तनपान, को लेकर जागरूकता बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा इस संबंध में महिलाओं के साथ परिवार के पुरुषों को भी जानकारी दी जाए ताकि जागरूकता बढ़ सके। डीपीओ ने बताया- प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास एवं पुष्टाहार द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक माह पोषण पाठशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पोषण एवं कुपोषण से बचाव की जानकारी दी जायेगी।

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