आईटीएस डेंटल कॉलेज में तम्बाकू नियंत्रण जागरूकता एवं उन्मूलन कार्यशाला का आयोजन

तम्बाकू का सेवन करने वालों को हृदय रोग, कैंसर फेफड़ों की बीमारियों का खतरा : डा. दोहरे

 नोएडा, 26 मई 2022। आईटीएस डेंटल कॉलेज ग्रेटर नोएडा में विद्यार्थियों के लिए “ विश्व तम्बाकू नियंत्रण दिवस” मासिक कार्यक्रम के अन्तर्गत तम्बाकू नियंत्रण जागरूकता एवं उन्मूलन कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील दोहरे ने बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रत्येक वर्ष तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया तम्बाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति को हृदय रोग, कैंसर फेफड़ों की बीमारियों के अलावा तम्बाकू संबंधित कई दूसरी बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।

गैर संचारी रोग प्रकोष्ठ की जिला सलाहकार  एवं पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट डा. श्वेता खुराना ने पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी दी। प्रभारी कोविड-19 टीकाकरण डा. स्मिथ यादव ने बताया सिगरेट, सिगार या पाइप से धूम्रपान करने वाले लोगों में मुंह का कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है। किसी भी रूप में तम्बाकू का सेवन मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण बन सकता है। जो महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती हैं उन्हें सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा रहता है।

नीरंजलि स्वयं सेवी संस्थान की संस्थापक एवं अध्यक्ष सारिका बहेती ने बताया एल्कोहोलिज्म को अल्कोहल यूज डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी इंसान के मन में अल्कोहल या शराब पीने की रोज इच्छा होती है। फिर भले ही जीवन पर कितना भी नेगेटिव असर क्यों न पड़े। एल्कोहोलिज्म ने पूरी दुनिया के लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। उन्होंने बताया दवाओं का निरंतर उपयोग मस्तिष्क कोशिकाओं के तंत्रिका कार्य को बदल देता है। नशे की लत एक क्रॉनिक, बार-बार लौटने वाली बीमारी है। इससे दिमाग में लम्बे समय तक चलने वाले केमिकल में बदलाव होता है जो नशे की लत को छूटने नहीं देते।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की साइकेट्रिक सोशल वर्कर रजनी सूरी ने बताया बदलती लाइफ स्टाइल में सबसे ज्यादा तनाव युवाओं में है। वह न केवल शारीरिक बीमारियों बल्कि कई मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। डिप्रेशन एंजाइटी, मूड डिसऑर्डर, आदि तनाव से छुटकारा पाने के लिए कुछ लोग नशे का सहारा लेते हैं जैसे- शराब सिगरेट अफीम गांजा आदि। उन्हें इस बात का पता भी नहीं होता कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। ज्यादातर युवा इसलिए डिप्रेशन का शिकार हो रहे है, क्योंकि वह अपनी बातों को दबाकर रखते हैं अपनी परेशानियों को किसी के सामने खुलकर नहीं रखते है। 

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