टारगेट लेकर दौड़ रही जनपद में एंबुलेंस 

.फर्जी मरीजों की संख्या में फर्जीवाडा कर लिया जा रहा भुगतान

.कंपनी से निकाले गए कर्मचारी ने लगाया आरोप, सीएमओ से शिकायत

 मेरठ। टारगेट के नाम पर एम्बुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी फर्जीवाड़ा कर रही है। लक्ष्य पूरा न करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। आरोप है, फर्जी मरीजों का आंकड़ा पीसीआर पर अंकित करके कंपनी सरकारी पैसे को लूट रही है। मेरठ में 29325 लाभार्थियों का वेरिफि केशन आया है, जबकि पोर्टल पर 50981 लाभार्थियों को सेवा प्रदान करना दिखाया जा रहा है। इसकी शिकायत सीएमओ से की गई है। सीएमओ ने जांच के आदेश दे दिए हैं।

एंबुलेंस संघ के सदस्य राजेश कुमार ने शिकायत करते हुए बताया, जीवीके ईएमआरआई एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी है जो पूरे प्रदेश में मरीजों को सरकारी निशुल्क 102 व 108 एंबुलेंस से सेवा प्रदान कर रही है। मेरठ में 88 एंबुलेंस है जो मरीजों को पीएचसी, सीएससी, जिला अस्पताल, डफरिन व मेडिकल में भर्ती कर रही है। आरोप लगाया, कंपनी कर्मचारियों को टारगेट देती है। कर्मचारियों को फर्जी मरीजों का आंकड़ा पीसीआर पर अंकित करके कंपनी को देना होता है, सबसे ज्यादा फर्जी केस अस्पताल से घर जाने वाले मरीजों का होता है। ऐसा न करने पर उनको नौकरी से निकाल दिया जाता है। फर्जी आंकड़ा पूरा न करने वाले लगभग दस हजार मरीजों को नौकरी से निकाल दिया गया है। राजेश ने मांग की, अगर सही से जांच की जाए और मरीजों के मोबाइल नम्बर पर फोन किया जाए तो पता चलेगा ज्यादातर नम्बर फर्जी है। एक ही मरीज को कई बार अस्पताल में दिखा दिया जाता है।




घर जाकर जांच हो तो खुलेगा राज

राजेश का आरोप है, कंपनी के अधिकारी ग्रुप बनाकर कर्मचारियों पर फर्जी केस करने का दबाव बनाते हैं। ज्यादातर केस ईएमटी पायलट या आशा के नम्बर पर लिया जाता है। अगर मरीज के घर जाकर जांच की जाए तो पता चलेगा उस नाम का मरीज ना तो गांव में है और न उसने एंबुलेंस की सेवा ली थी।

आंकड़ों पर शिकायतकर्ता ने उठाया सवाल

राजेश का कहना है, जनपद मेरठ में 102 एंबुलेंस द्वारा फरवरी, मार्च व अप्रेल माह में 29325 लाभार्थियों का वेरिफिकेशन आया है, जबकि नेशनल हेल्थ मिशन पोर्टल पर 50981 लाभार्थियों को सेवा प्रदान करना दिखाया जा रहा है। इस पर सवाल उठाया गया है। राजेश का कहना हैए वे इससे पूर्व भी सिटी मजिस्ट्रेट से शिकायत कर चुके हैं।

ये कहना है सीएमओ का

सीएमओ डा.अखिलेश मोहन ने बताया, शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। प्रत्येक मरीज से फोन करके पूछा जा रहा है। 3 या 4 दिन में जांच पूरी कर ली जाएगी।

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