प्रथम “पोषण पाठशाला’’ का आयोजन
शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान जरूरीः डॉ. सलमान
शिशु को स्तनपान कराने से कम हो जाता है कैंसर का खतरा : डॉ. रेनू श्रीवास्तव
मुजफ्फरनगर, 26 मई 2022। प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास एवं पुष्टाहार अनिता मेश्राम और निदेशक, बाल विकास एवं पुष्टाहार डा. सारिका मोहन की पहल पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सूबे के सभी जनपदों में बृहस्पतिवार को पोषण पाठशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य थीम “शीघ्र स्तनपान-केवल स्तनपान” थी। मुजफ्फरनगर में एनआईसी में मुख्य विकास अधिकारी आलोक यादव की अध्यक्षता में पोषण पाठशाला वेबकास्ट में प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी संतोष कुमार शर्मा, बाल विकास परियोजना अधिकारी खतौली व शाहपुर तथा दो मुख्य सेविकाओं एवं छह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।
लखनऊ में बैठे विशेषज्ञों, डा. आरएमएल आईएमएस (लोहिया अस्पताल) लखनऊ में सामुदायिक चिकित्सा विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीष कुमार सिंह, वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल (डफरिन) लखनऊ के वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग डा. मो. सलमान खान, आईएचएटी-यूपीटीएसयू लखनऊ की निदेशक डा. रेनू श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पोषण पाठशाला में स्तनपान की महत्ता बताई।
डॉ. रेनू श्रीवास्तव ने बताया ‘‘मॉ का प्रथम दूध, जिसे कोलेस्ट्रम/खीस कहा जाता है, वह शिशु के लिए दूध नहीं पहला टीका है। इससे ‘‘मॉ व शिशु दोनों को ही बहुत लाभ होता है। जैसे स्तनपान शिशु को बाह्य संक्रमण से बचाता है उसी तरह मॉ को स्तन व गर्भाशय के कैंसर से बचाता है। उन्होंने कहा स्तनपान कराते समय शिशु की सही स्थिति होना बहुत जरूरी है। स्तन से शिशु के मुंह का ठीक सम्पर्क होने पर ही उसका पेट भर पाता है।‘
डॉ. मोहम्मद सलमान खान, वरिष्ठ परामर्शदाता, (बाल रोग विषेशज्ञ) ने बताया मॉ का दूध शिशु के लिए अमृत के समान है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा देना चाहिए व छह माह की आयु तक उसे केवल स्तनपान कराना चाहिए। परंन्तु समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। मॉ एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नहीं है और वह शिशु को अन्य चीजे जैसे कि घुट्टी, शर्बत, शहद, पानी , पिला देती हैं। स्तनपान से ही शिशु की पानी की भी जरूरत पूरी हो जाती है। इसलिए ‘‘शीघ्र स्तनपान, केवल स्तनपान‘‘ की अवधारणा को जन जन तक पहुंचाना है।
प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी संतोष शर्मा ने बताया पोषण पाठशाला में 1955 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा 27359 लाभार्थियों/अभिभावकों ने प्रतिभाग किया।
मुख्य विकास अधिकारी आलोक यादव ने पोषण पाठशाला के दौरान दिये गये परामर्श एवं संदेशों का आम जनता के मध्य प्रचार-प्रसार कराने तथा वेबकास्ट के दौरान दिये गये परामर्श एवं संदेशों को सरल भाषा में पेम्फ्लेट्स के रूप में समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये है।
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