आईआईएमटी के छात्रों को उच्चायुक्त ने दिया दुनिया का लीडर बनने का संदेश

त्रिनिदाद और टोबैगो के उच्चायुक्त ने कहा, शिक्षा से ही खुल सकते हैं सफलता के रास्ते
मेरठ। 
आईआईएमटी विश्वविद्यालय में पहुंचे त्रिनिदाद और टोबैगो के उच्चायुक्त डॉ रोजर गोपाल ने छात्रों के साथ बेहद खुले दिल से बात की। हिंदी में नमस्ते के अभिवादन से लेकर जय श्री राम के जयकारों के साथ उन्होंने छात्रों को गर्मजोशी के साथ खुद से जोड़ लिया। 1865 में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के हिस्सों से त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे समुद्री द्वीपों को बसाने के लिए गए अपने पूर्वजों के संघर्ष की दास्तान साझा करते हुए उन्होंने छात्रों को कड़े परिश्रम का मंत्र दिया।
शुक्रवार की आईआईएमटी विश्वविद्यालय पहुंचे त्रिनिदाद और टोबैगो के उच्चायुक्त डॉ रोजर गोपाल का विश्वविद्याय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता और प्रति कुलाधिपति डॉ मयंक अग्रवाल ने स्वागत किया। तत्पश्चात सेमिनार हॉल में आयोजित कार्यक्रम में डॉ गोपाल का परिचय कराते हुए विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ एससी पांडे ने त्रिनिदाद की समृद्ध प्राकृतिक संपदा का परिचय भी दिया। छात्रों को संबोधित करते हुए उच्चायुक्त महोदय ने कुछ ही देर में छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लता मंगेशकर, किशोर कुमार और मोहम्मद रफी के साथ अपनी और अपने पिता की मुलाकातों का जिक्र करते हुए उच्चायुक्त डॉ गोपाल ने हिंदी में लता मंगेशकर का गाना ‘जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा’ छात्रों को सुनाया। अपने संघर्ष की दास्तान छात्रों के साथ शेयर करते हुए डॉ रॉजर गोपाल ने बताया कि 18 साल की उम्र के बाद उन्होंने गंभीरता से पढ़ाई शुरू की और शिक्षा के क्षेत्र में ही अपना करियर बनाया। उन्होंने छात्रों के मेहनत और कड़े परिश्रम का संदेश देते हुए दावा किया कि शिक्षा से जीवन के हर क्षेत्र में रास्ते तलाशे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के आपसी सांस्कृतिक रिश्ते सदियों से एक रहे हैं और रहेंगें।
छात्रों के महत्वाकांक्षी बनने की सलाह देते हुए डॉ गोपाल ने कहा कि अगर आपके पास विजन और नॉलेज है तो दुनिया को फॉलो करने की नहीं बल्कि दुनिया को लीड करने की जरूरत है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ अपने पूर्वजों के जुड़ाव का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि अभी भी त्रिनिदाद में हिंदुस्तान की भरपूर झलक है और हम आज भी भारत को अपनी मातृभूमि को समझते हैं। उन्होंने बताया कि त्रिनिदाद में भगवान हनुमान की 85 फीट लंबी मूर्ति है और स्थानीय भाषा में अनुवाद किये जाने के बाद रामायण बेहद लोकप्रिय है। दीपावली पूरे देश का राष्ट्रीय त्योहार है और पूरी धूम-धाम से मनाया जाता है। इसे लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन और भारतीय परिधानों के साथ आतिशबाजी करते हैं।
अपने देश के प्राकृतिक सौंदर्य का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि त्रिनिदाद और टोबैगो में प्राकृतिक संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाता है। ईको टूरिज्म का केंद्र होने के साथ उनके देश में सरंक्षित क्षेत्रों का खास ख्याल रखा जाता है। विकास कार्याे के दौरान भी हरित क्षेत्र और पर्यावरण को बचाया जाता है। उन्होंने छात्रों के सवालों का बेबाकी से जवाब देते हुए सभी छात्रों को घूमने या फिर रोजगार के नए रास्ते तलाशने के लिए त्रिनिदाद आने का न्योता भी दिया।
आईआईएमटी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ सतीश बंसल ने त्रिनिदाद के उच्चायुक्त डॉ रोजर गोपाल का आभार जताते हुए दोनों देशों के बीच शिक्षा को लेकर आपसी सहमति बनाने पर जोर दिया। साथ डॉ गोपाल ने दोबारा विश्व विद्यालय में आने की इच्छा भी प्रकट की। उच्चायोग से सवाल पूछने वाले सभी छात्रों को भी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन एकता शर्मा ने सफलतापूर्वक किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में आईआईएमटी रेडियो की डायरेक्टर डॉ सुगन्धा श्रोत्रिय, डायरेक्टर एडमिन डा0 संदीप कुमार, चीफ प्रॉक्टर डॉ एएस चौहान का योगदान रहा। डॉ सतीश कुमार सिंह, डॉ मुकेश कुमार, डॉ सुभाष चंद्र थलेड़ी सहित विभिन्न संकायों के डीन, फैकल्टी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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