ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला

- अब 30 मई को फिर होगी सुनवाई, दोनों पक्ष ने रखीं दलीलें
वादी पक्ष ने लगाया शिवलिंग में छेड़छाड़ का आरोप

वाराणसी।
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में गुरुवार को कड़ी सुरक्षा के बीच जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई की। जिला अदालत ने अब इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 30 मई सोमवार को तय की है। अदालत ने सबसे पहले मुस्लिम पक्ष की मांग पर केस की वैधता पर सुनवाई की और उनकी दलीलें सुनीं।
अदालत में मस्जिद प्रबंधन कमेटी की ओर से दलील दी गयी है कि वर्ष 1991 के धार्मिक स्थल (विशेष प्रावधान) कानून के परिप्रेक्ष्य में इस वाद पर अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती है। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस संबंध में आवेदन दिया गया था। संबंधित कानून में धार्मिक स्थलों का स्वरूप 15 अगस्त 1947 जैसा बनाये रखने का प्रावधान है।
प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि शिवलिंग का अस्तित्व केवल कथित है और अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। अफवाहों के परिणामस्वरूप सार्वजनिक अशांति होती है। जिसे अस्तित्व साबित होने तक अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हिंदू पक्ष का यह मुकदमा पूरी तरह से गैर-धारणीय है। इसलिए इसे सिविल प्रक्रिया संहिता के ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत खारिज कर दिया जाना चाहिए।
प्रतिवादी पक्ष ने 1991 के इस अधिनियम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की पिछली मिसालों का हवाला भी दिया। इस पर वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने प्रतिकार कर जोरदार दलीलें दी। इसी बीच हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने जिला न्यायाधीश की कोर्ट को सूचित किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मिले शिवलिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। फिलहाल दोनों तरफ से हुई बहस को सुनने के बाद न्यायालय ने सोमवार 30 मई तक के लिए सुनवाई टाल दी ।

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