जहांगीरपुरी में हुई हिंसा का मामला

एमसीडी के बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
यथास्थिति बनाए रखने का आदेश, आज होगी सुनवाई
नई दिल्ली (एजेंसी)।
सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की बुलडोजर कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने एमसीडी से यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। अब अतिक्रमण हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर कल यानी गुरुवार को फिर सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि बीती 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के मौके पर निकाले गए शोभा यात्रा पर जहांगीरपुरी में ही पथराव हुआ था। तब से लेकर अब तक 20 से ज्यादा आरोपी पकड़े जा चुके हैं। इस बीच, एमसीडी ने जहांगीरपुरी में मौजूद अवैध अतिक्रमण को हटाने का फैसला ले लिया। आज कार्रवाई शुरू भी हो गई थी। काफी हद तक अवैध कब्जे पर बुलडोजर भी चल चुका है। लेकिन इस बीच चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने स्टे दे दिया।
अधिवक्ता ने कार्रवाई को असंवैधानिक बताया
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने एनडीएमसी और पीडब्ल्यूडी के संयुक्त अभियान को असंवेधानिक बताया। आरोप लगाया कि जो कार्रवाई दोपहर दो बजे होने वाली थी, उसे सुबह नौ बजे ही शुरू कर दिया गया। इसके पहले यहां रहने वाले लोगों को कोई नोटिस भी नहीं दिया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट भी सुनवाई के लिए तैयार

दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट भी इस मसले पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। हालांकि, कोर्ट ने तुरंत एमसीडी की बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने वकीलों को उनकी याचिकाएं दायर करने का निर्देश दिया और कहा कि मैं बुलडोजर की कार्रवाई पर कुछ नहीं कह रहा हूं  लेकिन अधिकारियों को निर्देशों के लिए तैयार रहना चाहिए।अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही मामले पर गौर कर रहा है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाएं दायर होने के बाद दिन में इन पर सुनवाई की जाएगी। पीड़ित पक्षों में से एक की ओर से पेश हुईं वकील ने अदालत से दोपहर दो बजे तक निवासियों को सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिंसा के बाद, कुछ स्थानीय लोग क्षेत्र में नहीं हैं और कुछ हिरासत में हैं।
बुधवार सुबह शुरू हुआ था अभियान
उत्तर नगर निगम के बुलडोजर अतिक्रमण हटाने के लिए बुधवार सुबह कुशल चौक पर पहुंचे थे। अतिक्रमण हटाओ अभियान कुछ देर चला था। बुलडोजर के जरिए कुछ रेहड़ियों को तोड़ा गया। रेहड़ियों को तोड़ने के बाद अन्य अवैध निर्माण को भी तोड़ा गया।

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