वर्तमान में तथ्य आधारित व ग्राउंड रिपोर्टिंग जरूरी:-प्रो केजी सुरेश

लोक कल्याण से ही होगा विश्व का कल्याण, पश्चिम की अवधारणा नकारात्मक है

मेरठ। हम अपने इतिहास को जानना चाहते हैं अंग्रेजों ने जो लिखा उससे इतर भी हमारा इतिहास है वर्तमान में दुनिया में बदलाव हो रहा है भारतीय ज्ञान को लोग जानना चाह रहे हैं नारद जी ग्राउंड रिपोर्टिंग करते थे जो आजकल की पत्रकारिता में कम दिखाई देती है ग्राउंड रिपोर्ट के अभाव में जमीन पर क्या हो रहा है उससे हम अनभिज्ञ हैं वर्तमान में तथ्य आधारित रिपोर्टिंग जरूरी  है यह बात तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में चल रही दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय वेबीनार के समापन सत्र के दौरान मुख्य वक्ता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने कही।

प्रोफेसर केजी सुरेश ने कहा कि वह सच किस काम का है जो समाज का मनोबल कम करें तथ्यों पर फोकस करना चाहिए सत्य का नजरिया अलग हो सकता है इस देश में विमर्श की परंपरा रही है इसको समझने की आवश्यकता है नाट्यशास्त्र को समझने की आवश्यकता है भाव संचार के माध्यम से लोगों के अंदर जगा सकते हैं इससे लोगों की सोच बदलती है लोक कल्याण सभी का ढेर होना चाहिए लोक कल्याण से ही विश्व का कल्याण होगा ऐसा संचार हमारा होना चाहिए। 

    मुख्य अतिथि बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रोफेसर अरुण भगत ने कहा कि भारत का संचार प्रारूप बहुत महत्वपूर्ण है ज्ञान परंपरा संचार प्रारूप से ही आगे बढ़ी है भारतीय प्रारूप हमेशा से ही समृद्ध और संपन्न, गौरवशाली और वैभवशाली रहा है विश्व में आज जो कुछ भी है वह भारत की ही देन है भारत की ज्ञान परंपरा अद्भुत आलौकिक रही है प्रोफेसर अरुण भगत ने भारतीय उपनिषद और ग्रंथों को चार भागों में बांटते हुए कहा कि स्वयं से बात करना भी एक संचार का माध्यम है वैदिक संस्कृति के मंत्र उच्चारण मात्र से ही संचार होता है इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन संचार के माध्यम से साहित्य की संरचना हो रही है ग्रुप कम्युनिकेशन भारतीय नाट्य साहित्य, संस्कृति संचार का ही एक माध्यम है सत्यनारायण की कथा एक आधुनिक युग का संचार है शिलालेख अनेक सिद्धांतों को प्रतिपादित करता भारतीय संचार है भारतीय ज्ञान परंपरा में अनेक तत्व निहित है। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मनीष वर्मा वाइस प्रेसिडेंट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ बहरीन ने कहाकि उपनिषद ज्ञान का भंडार है संचार और चिंतन जिज्ञासा का ही परिणाम है नाट्यशास्त्र को संचार का जनक कहा जाता है लेकिन दुर्भाग्य है कि नाट्यशास्त्र को केवल एक ड्रामा माना गया नाट्यशास्त्र के माध्यम से हम जो रामायण या अन्य नाटक करते हैं वह आज भी हमारे देश में संचार का बहुत बड़ा माध्यम है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अजय मित्तल ने कहा कि टेलीपैथी को विकसित करने का श्रेय भारत को ही जाता है हमारे ऋषि मुनि जंगलों में रहते थे इसका वर्णन बाल्मीकि रामायण में मिलता है ऋषि मुनि टेलीपैथी का ही सहारा लेते थे और एक दूसरे से संवाद करते थे टेलीपैथी संचार का एक बड़ा माध्यम था भारतीय पद्धति का उपयोग करके दुनिया के लिए टेलीपैथी ने काम किया आज के समय में भी इसका उपयोग है इस पद्धति का उपयोग करके देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है हमारे ग्रंथों में भी इसकी चर्चा है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रोफेसर वाई विमला ने कहा कि बचपन में जो सीखने मैं संवाद की भाषा अलग होती है प्राचीन भारत में वह हमारे ग्रंथों में हमारे ऋषि मुनि पशु पक्षियों की भाषा भी समझते थे यह भी एक संचार की भाषा है संचार का मूल तत्व यह है कि एक हृदय से दूसरे हृदय तक पहुंचा जाए कविताओं और गानों में ऐसी अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति होती थी जो दूसरों के दिलों में अलग जगह दे दी थी हमारा संवाद संचार ऐसा होना चाहिए कि अर्थ का अनर्थ ना हो जाए हम क्या कह रहे हैं या क्या कर रहे हैं वह उपयोगी भी है या हो सकता है उसमें राष्ट्र हित निहित है या नहीं इसके बारे में हमें जरूर सोचना चाहिए हम अगर यदि किसी से संवाद कर रहे हैं वह संवाद हमको किशोर ले जा रहा है इसके सोचने की आवश्यकता है हमारी ज्ञान की परंपरा दोबारा से जीवंत हो उठी है हर संवाद की एक गहराई होती है प्राचीन संस्कृति को नहीं बोला है ऐसा ग्रह हमारा होना चाहिए। तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने सभी का स्वागत किया तथा लव कुमार जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया कार्यक्रम का संचालन बीनम यादव ने किया। तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में चल रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के दूसरे दिन के पहले टेक्निकल सेशन में प्रोफेसर गोविंद सिंह डॉक्टर सुबोध अग्निहोत्री प्रोफेसर संजीव बनावत डॉक्टर नीलम कुमारी ने अपने विचार रखे।आशाराम खटीक भास्कर सिंह पृथ्वी सेंगर नवीन तिवारी शिवानंद पांडे ने रिसर्च पेपर पढ़े। दूसरे टेक्निकल सेशन में प्रोफेसर अनिल सौमित्र डॉक्टर तारा सिंह परिहार डॉक्टर दिलीप कुमार डॉक्टर रोहिल लाल तथा अमरीश पाठक ने अपने विचार रखे आशु विजेंद्र वर्मा डॉक्टर आनंद पायरिया संध्या शर्मा ऋतु गर्ग डॉ अर्चना त्रिवेदी ने रिसर्च पेपर पढे।

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