पुलिस प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है नेत्रपाल की हत्या


सरधना (मेरठ) खाना सरूरपुर क्षेत्र के पांचली बुजुर्ग गांव के जंगल में जिस चरागाह की भूमि को लेकर नेत्रपाल की हत्या कारण बना उसी चरागाह की भूमि को लेकर पुलिस- प्रशासन की घोर लापरवाही भी सामने आई है। इस भूमि पर नेत्रपाल गौशाला संचालित कर रहे थे। जबकि अभी भी गौशाला के इर्द-गिर्द कुछ भूमि पर दबंगों  की चरागाह की भूमि पर फसल लहलहा रही है। इसे लेकर दबंगों व गौशाला संचालित करने वाले लोगों के बीच कई बार कब्जा हटवाने को लेकर मुंह भाषा भी हुई । इस संबंध में प्रशासन द्वारा चरागाह की भूमि से अवैध कब्जा हटाने के लिए कोई ठोस रणनीति बनाकर कार्यवाही नहीं की गई,निचले स्तर के राजस्व विभाग के अधिकारियों की सेटिंग गेटिंग के चलते हर बार कब्जा हटवाने के नाम पर खानापूर्ति की गई । जिसका नतीजा यह रहा कि आज भी गांव के जंगल में स्थित लगभग ढाई सौ बीघा भूमि पर दबंग भू माफिया राज करके फसल उगा रहे हैं। इसी चरागाह की भूमि से अवैध कब्जा हटवाने और प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई करके कब्जा मुक्त नहीं किया जाना नेत्रपाल की हत्या का कारण बन गया। इसमें प्रशासन की सीधे तौर पर लापरवाही सामने आई है। खासतौर पर हल्का लेखपाल ने समय रहते कोई ठोस कार्रवाई प्रशासन की ओर से नहीं कराई हर बार महज खानापूर्ति कर दी गई। जिसका नतीजा आज दबंगों की खड़ी फसल सामने हैं। इसके अलावा पुलिस पर भी चरण सिंह ने घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि लगभग डेढ़ साल पहले भी उनकी इस अस्थाई गौशाला पर कुछ लोगों ने हमला करके आग लगा दी थी और उनके साथ मारपीट करके फायरिंग की थी। इसके अलावा भी उन्होंने कई बार अस्थाई गौशाला स्थल पर रह रहे लोगों को धमकी दी गई, जिसकी बार-बार पुलिस को तहरीर देकर कार्रवाई के लिए मांग की गई,लेकिन पुलिस की हीला हवाली और प्रशासन की लापरवाही का नेत्र पाल की हत्या के रूप में सामने है । इसे लेकर नेत्रपाल की हत्या के मामले में सीधे तौर पर पुलिस-प्रशासन किसी हद तक जिम्मेदार है। यदि दोनों समय रहते राजस्व विभाग कब्जा मुक्त की कार्रवाई ठोस तरीके से करते तो शायद यह नौबत नहीं आती,तो वहीं दूसरी ओर पुलिस भी कटघरे में खड़ी हो रही है। यदि समय रहते गौशाला के संचालकों को बार-बार मारने की धमकी और उत्पीड़न करने के मामले सख्त कार्रवाई करती तो शायद नेत्रपाल की जान नहीं जाती।

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