यूपी में जून से बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी

 नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से मांगा टैरिफ प्लान

लखनऊ।
पेट्रोल, डीजल, सीएनजी तथा गैस सिलेंडर के लगातार बढ़ते दामों के बाद अब उत्तर प्रदेश के लोगों को बिजली का झटका लगेगा। माना जा रहा है कि सरकार जून से बिजली महंगी कर सकती है। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से दस दिन में स्लैबवार टैरिफ प्रस्ताव मांगा है।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई को छोड़कर घरेलू सहित अन्य सभी श्रेणियों की बिजली दरें बढ़ सकती हैं। सरकार ने सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त में देने की घोषणा की थी, इसी कारण किसानों को राहत है। सरकार का बिजली विभाग में 6700 करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई करने के लिए मौजूदा दरें बढ़ाने का प्रस्ताव है। भाजपा की दोबारा नई सरकार बनते ही उत्तराखंड में बिजली महंगी होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी बिजली की दरें बढऩे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
मौजूदा बिजली दर से मिलने वाले राजस्व और खर्च का अनुमान लगाते हुए कंपनियों ने एआरआर में लगभग 6700 करोड़ रुपये का गैप बताया है। आयोग ने कंपनियों से गैप की बिना सब्सिडी भरपाई के लिए अलग-अलग श्रेणीवार बिजली की प्रस्तावित दरों का विस्तृत ब्योरा मांगा है। आयोग ने प्रस्ताव में और भी कमियां गिनाते हुए कंपनियों से दस दिन में उन सब पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
गौर करने की बात यह है कि पहली बार आयोग ने राजस्व गैप को शून्य दिखाते हुए बिना सब्सिडी के बिजली दर का प्रस्ताव उपलब्ध कराने का आदेश कंपनियों को दिया है। जवाब मिलते ही आयोग प्रस्ताव स्वीकार कर दरों को अंतिम रूप देने के लिए जन सुनवाई आदि करेगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली की दरें बढऩे के बजाय घटनी चाहिए। उन्होंने बताया कि विद्युत उपभोक्ताओं का पूर्व में बिजली कंपनियों पर 20,500 करोड़ रुपये निकलने के एवज में बिजली दर कम करने संबंधी उनकी याचिका पर नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन से जवाब-तलब कर रखा है। परिषद की याचिका अभी विचाराधीन है इसलिए उस पर निर्णय से पहले दरें बढ़ाने का विरोध किया जाएगा।

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